खत की पहली लाइन
जिसमे लिखा था "मेरी तुम"
और आखिरी लाइन में
तुम्हारा मैं........
उन दो लाइनों के बीच
बिखरा पडा था रिश्ता हमारा
शिकवे, शिकायते, प्यार, मोहब्बत
लेकिन मैं पढ ही नही पा रही थी...
इतना सब.......
मेरी नजरें सिर्फ दो लाइनों पर टिकी थी...
जहां मौजूद थे हम...
एक दूसरे के होके भी जुदा...
वो दो लाइने... दो किनारो सी लगी मुझे
जो कभी मिलते ही नही...
मिल ही नही सकते...
चल सकते हैं, समानांतर बस
और जिंदा रहने को...
बचाए रखते हैं बीच में बहाव...
जिसमें लहरें कभी उधर से उठती हैं
कभी इधर से... और कह जाती है...
हां, साथ हूं मैं अभी भी...
प्रेम शाश्वत है... अनवरत बहेगा
चलते रहना तुम... रूकना नही...।।
©sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.