नाम का किन्नर था, वो,
देह से पुरूष भी और स्त्री भी,
लेकिन पहनावा उसने अपने लिए,
स्त्री का ही चुना था,
ममता उसके भीतर पल पल हिलोर मारती,
संगी साथी मजाक उडाते,
अरे स्त्री का लिबास धारण कर,
मां थोडे ही हो जायेगा तू ,
बस बधाई में नाच गाना ही कर,
यही हमारी किस्मत है,
और यही हमारी जीविका,
इससे ज्यादा का भी, क्या सपना...?
लेकिन वो नही माना,
उसने कोर्ट में एक अनाथ बच्चे को
गोद लेने की अर्जी लगाई...
फैंसला उसके पक्ष में आया,
और वो एक साथ माता व पिता बना !!
©sonnu Lamba
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