कभी नीम नीम ..कभी शहद शहद

प्यारी सी कहानी ,शादी के बाद प्यार की शुरूआत..!!

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 01 Sep, 2021 | 1 min read
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"कभी नीम-नीम, कभी शहद-शहद,

कभी नरम-नरम, कभी सख़्त-सख़्त,

कभी नीम-नीम, कभी शहद-शहद

कभी नरम-नरम, कभी सख़्त-सख़्त...."


देखो तो जरा, क्या आराम से बैठकर टीवी में गाना देख रहे हैं ,और अपनी बीवी का जरा भी ख्याल नहीं, गाने में अभिषेक बच्चन और रानी की कैमस्टरी नहीं दिख रही ,खुद देखो कितने नीरस हैं एक भी लाड़ की बात नहीं करते , भूल से भी..! 

शादी को एक महीना हो गया है , हाँ एरेंज मैरिज हुई है तो क्या मैं भी तो नहीं जानती थी इनको, लेकिन एक महीनें में ही लगता है ,बरसो की जान पहचान है ,सोचते सोचते शिवानी भीतर ही भीतर सिंहर गयी, जैसे कोई बिजली दौड पडी़ हो ,तन में..! 


लेकिन पिया जी तो अपने टीवी में ही खोए रहे, माँजी भी वहीं बरामदे में बैठ स्वेटर बुन रही है, लता कॉलेज गयी है, और वो अकेली रसोई में खटर पटर कर रही है, काम कम और जल भुन ज्यादा रही है, 

तभी माँ जी की आवाज कान में पड़ी ..

"अरे, पंकज..! 

जा, बत्रा जी के यहां हो आ, बत्रा आंटी बहुत दिन से बुला रही हैं, शिवानी को भी ले जा, मैं तो ना जा सकूं बेटा..! 

"तुम दोनों हो आओ, उनका उलाहना खत्म हो जाएगा बहू को बुलानें का, मैं फिर कभी हो आऊंगी, मैं उन्हें फोन कर देती हूं," 

"नहीं माँ आप रहनें दो, मैं खुद ही फोन कर लूंगा, "

"शिवानी तैयार हो जा बेटा, जाओं बत्रा आंटी के यहां हो आओ, बहुत प्यार करती हैं पंकज और लता को, जब हम उस मौहल्ले में रहते थे, तब दोनों उन्ही के घर ज्यादा मिलते थे ,छोटे भी थे तब..! 


यहां शिफ्ट किये भी दस साल हो गये, लेकिन दूरी से उनके साथ संबंधों पर कोई असर नहीं पडा़ , शिवानी सुन रही थी और जल्दी जल्दी तैयार हो रही थी, उसका तो सबसे बडा रोमांच था पंकज के साथ बाहर घूमने जाना, ये पहला मौका था, जब वो पंकज के साथ, अकेले बाहर निकल रही थी,

वो बहुत जल्दी तैयार हो गयी, माँ ने पंकज को हिदायत दी मिठाई ले जाना बेटा, और फोन करके बोल दे कि हम आ रहे हैं, "

"ठीक है माँ"

चलो शिवानी, कहकर दोनों निकल गये, पंकज ने फोन करके बोला, आंटी हम दो घंटे में आपके घर पहुंच रहे हैं, 

"दो घंटे "

"आंटी के घर का रास्ता तो केवल तीस मिनट का है", जैसा मुझे पता है, शिवानी को आश्चर्य हुआ, 

और पंकज ने बाइक दूसरे रास्ते पर ले ली ,

"ये हम कहाँ जा रहे हैं, जी"

चुप बैठी रहो, जानेमन..! 

देखती जाओ.. बस, 

पंकज का ये खिला खिला संबोधन सुन मन तो बसंत सा खिल गया, मौसम भी बसंत का ही है, पंकज ने बाइक एक झील के पास जाकर रोक दी, शहर से दूर, शांत जगह.. इक्का दुक्का खाने पीने का सामान बेचनें वाले, ऊपर पहाडी पर एक छोटा सा मंदिर, ज्यादातर लोग वहीं जा रहे थे, लेकिन भीड़ नहीं थी वहां, हम नीचें ही बैठ गये, पार्क में फूल ही फूल और हम दोनों अकेले ,पकंज मेरे करीब आकर एक सैल्फी लेने लगे और मेरी रंगत, पीली साडी और गुनगुनी धूप में भी गुलाबी हो गयी, फिर उन्होनें मेरा हाथ धीरे से अपने हाथ में लिया..! 

क्या समझती हो, तुम्हारा पति रोमांस नहीं जानता, इधर देखो जरा.. मेरी आंखों में, और उन्होनें मेरा चेहरा अपनी ओर किया, मेरा सारा बहादुर पना निकल गया और पलके झुक गयी, पंकज गुनगुनाने लगे, 


मेरा मरना, मेरा जीना, इन्हीं पलको के तले,

तेरी आँखों के सिवाय दुनिया में रखा क्या है..,


इस खूबसूरत दोपहर में इस प्रणय निवेदन के आगे बादल भी झुक कर नींचे अभिवादन को आ गये, घटाएं घिरने लगी, 

"चलें शिवानी...! 

पहले झील के किनारें चलते हैं , पास में कुल्हड़ वाली चाय मिलती है, वहां से दो चाय मंगाता हूं, चाय आ गयी.. मैं चाय पीते हुए हम दोनों का अक्स झील के शांत पानी में देखती रही और मोहित होती रही, अपनी जोडी़ देखकर..! 

पंकज बहुत सी बाते बताते रहे, ठीक उससे उलट जैसे चुप वो घर पर रहते थे, 

क्या सोच रही हो, यही ना.. कि घर पर मैं इतनी बाते क्यों नहीं करता ?

वहां, माँ है.. इसलिए थोडा लिहाज़ रखना पड़ता है, बस और कोई बात नहीं, 

अच्छा चलो अब चलते हैं, बत्रा आंटी के घर, नहीं तो मां से ही पूछ लेंगी फोन करके "कि होया सी ,अब्बी पहुँचे ना पंकज और शिवानी "

मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी, पंकज ने मेरी आंखों में देखते हुए बोला, खुलकर हँसो और बाइक पर जरा कसकर पकड़ कर बैठो मुझें, मैं गिर गया तो.. हाँ नहीं तो..!

"रहने दो बस... अब सचमुच मेरी हँसी छूट गई "

बाइक बत्रा आंटी के घर की ओर दौड़नें लगी, और मेरा मन.. मन ही मन गाने लगा,

"कभी नीम नीम.. कभी शहद शहद........ मोरा पिया... मोरा पिया "


©®sonnu Lamba 


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Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Wah!

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    थैंक्यू चारू

  • Shilpi Goel · 3 years ago last edited 3 years ago

    खूबसूरत

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thank you shilpi

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