मां... स्मिता में क्या कमी है.. "
"कोई कमी नही है.. "
फिर आप मना क्यूँ कर रही हो, वो मुझे पसंद है, मैं चाहता हूं उसे... कोई ओर लड़की आप मेरे लिए ढूंढ भी लाओगी तो क्या, मेरा मन नही मानेगा, उसके लिए..!
"आप उसके मम्मी पापा से बात कर लिजीए, एक बार.. "
"इसलिए आया हूं मैं आपके पास.. "
"जब रिश्तेदारी ही नही करनी उनके साथ तो क्यों करूं बात.. "आप इस तरह जिद पर अडेगी, मैने सोचा भी नही था", मां"
और बताती भी नही हो कि क्यों..?
ठीक है, मैं कल कोर्ट जाकर शादी की अर्जी दे देता हूं, फिर कहती रहना कि इकलौता बेटा है मेरा तो, शादी के अरमान अधूरे रह गये मेरे.. "
"अब तू उसके लिए मेरे से लडेगा.. "
मां, लडना ही ना पडे, तब ही तो सबसे पहले आपके पास आया और आप हो कि.... "
अच्छा बताओ, ऐसा क्या है जो आपको परेशान कर रहा है.. "
"वो वर्दी वाली है बेटा.. "
"तो.....मां ? कहकर निशांत जोर जोर से हंसने लगा.. "
"अच्छी ना लगेगी क्या, वर्दी में.. "
और घर में क्यों पहनेगी वर्दी, मैं भी तो वर्दी वाला हूं मां.. "
"जोडी टक्कर की है.. खूब जमेगी "
चुपकर तू , इसलिए तो मैं नही बता रही थी... तू खींखीं कर हंसेगा बस, जानता तो कुछ है नी दुनियादारी.. "
"जो लडकी सारे दिन डंडा चलावै, पुलिस थाने रहे वो घर में, भी तो वैसे ही कडक होगी.. "
"मुझे तो एक घरेलू लडकी चाहिएऔर वो मैं खुद ढूंढ लूंगी.. "
"मां... आप बिना बात डर रही हो.. "
जैसे मैं अपनी ड्यूटी पर कडक रहता हूं, और घर आकर आप लोगो के साथ वही सामान्य, ऐसे ही वो है, वो कोई अलग थोडे ही है...!
और दूसरी बात आपने केवल पुलिसवालों का एक ही चेहरा देखा, कडक, दूसरा ना देखा... अभी कोरोना में पुलिस वालो ने लोगो को जगह जगह खाना खिलाया, जरूरी सामान मुहैया कराये और थाने में खाना बनाया तक खुद, मां.. और उस खाना बनाने की कवायद में थाने का महिला स्टाफ हमेशा आगे रहता था... "
"स्मिता भी बडी बडी गोल गोल रोटी बनाती है मां.. "
मां ने, बेटे को बहुत जोर से घूरकर देखा.. !
"और बेटे ने मां को गले लगा लिया .."
बस इतने पर ही मां पिंघल गयी.. चल छोड़ ,करती हूं बात, उसके मम्मी पापा से.. शैतान कहीं का..।
और दोनों मां बेटे के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी...।
©sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
प्यारी कथा
समसामयिकी कथा 👍
थैंक्यू संदीप 🌸
थैंक्यू ओमप्रकाश जी
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