सड़क पर गुप्प अँधेरा था ,स्ट्रीट लाइट भी ढंग से काम नहीं कर रही थी | कभी जलती कभी फक्क से बुझ जाती , सोमेश घर जाने की जल्दी में तेजी से कार बढ़ाता जा रहा था |
सामने लिफ्ट लेने की मुद्रा में एक लड़की खड़ी थी | उसके गोरे रंग और घने काले बालों का ऐसा आकर्षण था कि ना चाहते हुए भी सोमेश ने गाड़ी रोक दी |
मेरा नाम नीलू है "रहस्यमयी मुस्कान के साथ लड़की ने धीरे से बोला, आप मुझे लिफ्ट देंगें,
हाँ ...हाँ सोमेश ने चौंक कर कहा ,
और मेरा नाम सोमेश ,अभी तक वो उसके दैहिक आकर्षण में कैद हुआ था और अब आवाज़ भी इतनी मधुर ,और खुशबु ..!
कौन सा परफ्यूम यूज किया होगा ,ऐसी खुशबु पहले कभी नहीं महसूस की ,वो मदहोश होता जा रहा था ,ना ही उसे ये सूझ रहा था कि बात कैसे शुरू करे , फिर से शुरूआत नीलू ने ही की...!
"आप मुझे हाइवे के बाद जो जंगल आता है ,वहाँ छोड़ दीजिएगा ,"
इतनी रात में वहाँ ..वो तो बडा़ डरावना इलाका है ,वहाँ तो कोई वाहन भी नहीं आता जाता ,आप क्या करेंगी वहाँ ,वो एक सांस में बोल गया ,
नीलू ने अब उसे घूरकर देखा ,
एक बार तो वो सहम गया ,सारी मदहोशी पल में काफू़र हो गयी ,
वहांँ जो पुलिया है नीचें ,वहाँ मेरा कुछ सामान छूट गया था ,हम लोग कल वहाँ घूमने गये थे , इसलिए मुझे वहीं जाना है ,अगर आपको मेरी फिक्र है तो आप साथ चलिए ,थोडा़ टाइम लगेगा ,मैं अपना सामान लेकर आगे चलूंगी ,नहीं तो मुझे किसी और से लिफ्ट लेनी होगी फिर ...वो भी एक सांस में बोल गयी थी ,
अब वह चाहकर भी मना नहीं कर पाया ,आखिर क्या सोचेगी वो उसके बारे में ,उसके मुँह से छोटा सा" हूँ " निकला बस ,और फिर गाडी़ में सन्नाटा छा गया ,कुछ देर बाद गाडी़ में ब्रेक लगा और मौन टूटा,
देखिए यहीं जाना है आपको ,योगेश ने कहा ,
हाँ कहते हुए नीलू गाडी़ से उतर गयी और इंतजार करने लगी ,सोमेश भी उतरे,
सोमेश ने गाडी़ लोक की और उसके साथ चल पडा़ अँधेरा ,जंगल और वो लड़की ,सब डरा रहे थे उसे लेकिन मरता क्या न करता ,एक लड़की को कैसे कहता कि उसे डर लग रहा है ,वो उसके पीछे पीछे चलता रहा ,वो ऐसे तेज तेज चल रही थी जैसे कोई सामान यहाँ छूटा नहीं ,छुपाकर रख गयी हो ,
जैसे ही उसने पुलिया के नीचें झाडी़ के पास झाँक कर देखा ,वो लड़खडा कर गिर गया ,ये क्या ..
ये तो उसी लड़की की लाश है ,जो उसके सामनें ...।
नीलू ने उसे सँभाला ,डरो मत ,बस तुम्हें पुलिस को सूचना देनी है कि तुमने यहाँ कोई लाश देखी है ।
नहीं नहीं तुम मुझे फँसा रही हो,वे मुझसे सौ सवाल पूछेंगें तब ,और तुम यहाँ मरी पडी हो तो सामने कैसे ..? उसकी जबान ,उसके हलक में ही अटक गयी ।
मुजरिम पकडा़ जायेगा ,मेरे माता पिता मुझे पागलो की तरह ढूंढ रहे हैं उन्हे भरोसा हो जायेगा कि मैं मर चुकी हूँ ,तुम कोई भी कहानी गढो़ बस पुलिस को सूचित कर दो ,पुलिस सूबूत तलाश लेगी ,यहीं झाडी में उस दरिदें का कुछ सामान पडा़ है,तुम बस ..!
ठीक है ...मैं कुछ सोचता हूँ ,
तब तक तुम .."
मैं चली जाऊंगी ,कभी नहीं दिखूंगी तुम्हें ,
जाओ तुम अब ....कहकर वो उसी पुलिया के नीचें चली गयी और वो तेज कदमों से गाडी़ की ओर दौडा़ ..।।
©®सोनू लांबा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
😳😳😳
बहुत अच्छे से कहानी गढ़ा है 👏
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