आजादी

आज आजादी पर्व मनाते हुए हमें ये सोचना ही चाहिए कि आजादी कितनी कीमती है ,अनमोल है ..! ये कहानी आपको बाध्य करेगी सोचने के लिए ..!!

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 15 Aug, 2021 | 1 min read
Sabdokikheti Independence

उस चारदीवारी के भीतर बहुत चालाकी से कैद कर लिया था मुझे किसी ने ...वहां बाहर से कोई रोशनी की किरण ही नहीं आती थी ...मेरा मन वहां से भागता , कोई दरवाजा , खिड़की ढूंढता लेकिन कुछ नही मिलता ..मैने बहुत ही युक्ति से एक रोशनदान खोजा , मैं उस रोशनदान तक बहुत मशक्कत से पहुंचा और बाहर की ओर झांका ..बाहर सडक पर बहुत लोग आ जा रहे थे ..लेकिन कोई मुझे देख नहीं पा रहा था ..मैं आवाज देना चाहता था लेकिन हलक से आवाज निकलती ही नहीं थी , मैनें पूरी जान लगाकर बोलना चाहा तो लगा जैसे किसी ने मुझे अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया है ..अब मेरा दम घुट रहा था ..मैं रोशनदान सहित छोटा होता जा रहा था ..सिकुडता जा रहा था ..ये क्या मुझे सांस आनी ही बंद हो रही थी ..."

मैं अपनी पूरी ताकत लगा एक झटके से उठ बैठा .."

इतनी सर्दी में भी पसीने से तरबतर ...ये कैसा सपना था ?

इतना डरावना ..कैद ..गुलामी जैसा ..."

मैने एक गहरी लम्बी सांस ली और पाया कि आजादी कितनी कीमती है और गुलामी सपने में भी दमघोटू ..।।

©®sonnu lamba

Note - ये रचना मैनें शब्दो की खेती के अंतर्गत लिखी है ।

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