दिसम्बर की छोटी छोटी ..
होती सर्द दोपहर से..
मैने एक दिन चुरा लिया..
धूप का एक टुकडा..
रखा छुपा के ..
रजाई में रात भर..
फिर अगली सुबह
जगा कर ..चाय पी..
उसके साथ और..
खूब बातें की ...
आंगन में बैठकर..
खाते रहे मूंगफली और रेबडी..
सुलझा ली दोनो ने मिलकर ..
उलझी हुई ऊन..
छील कर रख दीं...मटर..
और यूं उस दिन..वो
छोटी सी सर्द दोपहर ..
थोडी लम्बी हो गयी...।।
Sonnu Lamba☺
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