इत्तफ़ाक ही था, वो... लेकिन उससे खूबसूरत लम्हा अभी तक जिंदगी में आया ही नही, जब भी तेज बारिश होती है, वो लम्हा याद आता ही आता है.... पता नही, वो भी याद करती होगी या नही, किशोरावस्था की बात ही अलग होती है...!
बहुत तेज बारिश हुई थी उस दिन, इतनी कि सुबह सूर्योदय भी नही देखा.. उन दिनो सूर्योदय देखना हमारा , मेरा और शुभी का, सबसे फैवरेट काम था क्योंकि सूर्य के साथ साथ एक दूसरे को भी तो देख पाते थे.. सन राइज के ठीक समय दोनो अपनी अपनी छत पर... सूर्य देवता को प्रणाम करते और एक दूसरे की ओर मुस्कुरा देते, बस यही छोटी सी खुशी पूरे दिन को खुशनुमा बनाये रखने को काफी थी... इसीलिए जिस दिन आसमान का सूरज ही ना दिखे तो अपने मन का चांद भी न दिखता...!
हां तो उस दिन बारिश होती रही, शाम के पांच बजे बारिश बंद हो गयी और चमकता हुआ सूरज दिखाया दिया, पश्चिम दिशा में.. मैं अनायास ही छत पर चला आया, भीगा भीगा मौसम और अब ये डूबता सूरज....!
अपना तो दिन ही नही निकला आज... काश! शुभी आज सन सैट देखने ही आ जाये, ये सोचकर मैं बडी ही उत्सुकता उसकी छत निहार रहा था,
तभी आसमानी रंग के सूट में आसमानी दुपट्टे को हवा में लहराती हुए वो एकाएक मेरे सामने थी, लेकिन अपनी छत पर...!
काश... कुछ ओर ही मांग लिया होता आज... तो वो भी.. मिल ही जाता, मैं सोचकर मुस्कुरा दिया ,जैसे ही नजर मिली वो भी मुस्कुरा दी... मैं अपनी छत पार करके पडोसी की छत पर आ गया जो उसकी छत से मिली थी,
"क्यों आज सन सैट देखने आयी हो... "
"सूरज डूबता ही कहां है.. वो तो छुप जाता है, बस एक रात के लिए .."
"अच्छा..तुम और... . तुम्हारी बातें... "
"आसमान लग रही हो एकदम ..आसमानी में.. "
"और तुम इन्द्रधनुष से क्यों खिल रहे हो.. "
"कोई मन मांगी मुराद पूरी हुई है.. शायद.. "
"हां.. ऐसे ही समझ लो, कि दिन अभी निकला अपना... "
ये कहते हुए जैसे ही मैने उसकी आंखो में देखा तो वो "एकदम गुलाबी हो गयी, उसने झेंप कर नजरे घुमा ली.. "
"और क्या करती रही आज पूरा दिन.. मैने बात बदली.. "
"कुछ नही पेंटिग कर रही थी... "
"अच्छा.. रंगो से खेलने का बहुत शौक है तुम्हें.. "
"हां.. है तो.. "
"कभी मेरे लिए भी कुछ बनाओ.. "
"कहो .! क्या... बनाए.."
"और मुझे शरारत सूझी... " मैने कहा आसमान में रंग भर सकती हो... "
वो खिलखिलाकर हंस पडी ..!
उसकी निश्छल हंसी जैसे हवाओं में बिखर गयी और मेरे मुंह से एकदम निकला, शुभी ...देखो इन्द्रधनुष ..!
उसके ठीक पीछे पूरब दिशा में क्षितिज पर इन्द्रधनुष चमक रहा था...!
फिर उसने चुटकी ली... देव..! देखो आसमान में रंग तो मेरी हंसी ने ही भर दिया..!
हां.. वो महज इत्तेफाक था.. लेकिन इतना खूबसूरत कि मन में खुशबु बन कर बसा है..!!
©®sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bht sundar
भावनाओं से ओतप्रोत कथा
बहुत प्यारी रचना
Emotions well penned
थैंक्यू तुलिका जी, संदीप जी, अर्चना जी, सोनिया जी, आप सबका बहुत बहुत आभार, रचना को प्यार देने के लिए...!
आपकी तो हर एक रचना 💝💝बेहद खूबसूरत
प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सुषमा... ❣️🙏
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