प्रदूषण

ये कविता मैने बीस साल पहले लिखी थी, अगर बीस साल पहले मुझे ऐसा महसूस हो रहा था, तो अब तो स्थिति ही क्या है.. आप सब महसूस करते ही हैं..!

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 30 Nov, 2020 | 1 min read
Life Enviornment Pollution

सिमट गयी है हरियाली,

सूखी पडी है हर डाली,

उजड गयी है बगिया सारी,

गाती नही अब कोयल काली,


मधुर नही ध्वनि कल-कल की,

पवित्र नही गंगा का नीर,

विषैली हो गयी शीतल पवन,

बहती नही अब मलय-समीर,


धुंए के असंख्य बादाल फैले,

हर उपवन..हर आंगन मे..

मौसम बिन बरसात है होती,

घिरती कहां घटाएँ सावन मे,


सकून कहां ..कहां है चैन..

पक्षियोंं के भी बहते नयन..

घायल है हर जीव यहाँं..

प्रदूषित हो गये,जमीन-आसमां..॥

©®sonnu Lamba

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