पेट की ख़ातिर..

पेट की ख़ातिर हम कुछ ऐसा भी कर डालते हैं जो अपराध बोध भर देता है मन में..

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 19 Jul, 2020 | 1 min read
Life Fiction Hardtime

"ये लो ..ये अपनी बेटियों के लिए कपडे ,और खिलौने रखो ,ये तुम्हारे लिए खाने पीने का सामान ..अपनी सेहत का ख्याल रखना और ये पैसे रखो ...तुम्हारे काम आयेगें जीविका चलाने के ..मैं तुम्हे टैक्सी से तुम्हारे गांव भिजवा दूंगी कल...ये बात कभी भी किसी से शेयर मत करना ..इस बात को यहीं छोडकर जाना ...तुम नहीं जानती ..तुमने मुझे कितनी बडी खुशी दी है ..मैं अपने बच्चे को तरस गयी थी ..पूरे दस साल बाद ,मेरी गोद भरी है ..वो भी तुम्हारी कोख का सहारा लेकर ...।" मेमसाहब ,फ्लो में बोले जा रही थी।और वो ..भरी आंखो से उनकी गोद में जाते हुए बच्चे को देख रही थी ,आज से ठीक ग्यारह महीने पहले , मजबूरी में जिस गांव को छोडा था ,कल फिर वहीं जाना है..।

पति दो बेटियां तोहफे में देकर जाने कहां चला गया ..जब कोई खैर खबर नहीं मिली साल भर तक और खाने के भी लाले पड गये तो अपनी दोनो बेटियों को लेकर शहर आ गयी ..।

मेमसाहब की बड़ी कोठी देखकर काम मांगने आयी थी ..डरते डरते बोली "की जगह भी चाहिए ,मेमसाहब ..रोटी , कपडे और छत के बदले आपका सब काम करेंगें..दो छोटी छोटी बच्चियां हैं ..इनको लेकर कहां जायेगें ..वो गिडगिडाने लगी थी ..।

मेमसाहब ने जाने क्या देखा ..उनको रख लिया ..और एक महीने बाद बोला ..मालती ,इस इतने बड़े घर में सब कुछ है ,एक बच्चा नहीं ..तुम साथ दो तो..."

वो ,ना ..नुकुर ..क्या ..कैसे ..करती करती सेरोगेट मदर बन गयी ,उनके बच्चे की ..।

बच्चा पेट में तो डाक्टर के इलाज से आ गया ,लेकिन सींचा तो उसी ने नौ महीने ..उसके सब एहसास ,अभी भी ताजा हैं ,वो पेट पकड़ कर यही सोचती जा रही थी और आंसू ,उसकी आंखो से बहते जा रहे थे ..।

तभी बड़ी बेटी खाने की थाली ले आयी .."लो मां ,खाना खा लो मेमसाहब ने भिजवाया है" ..ऐसी खाने की चीजो से भरी थाली उसने जीवन में पहली बार देखी थी ,अपने आगे ..।

"मां ..चलो खाना खाते हैं ..छोटी बेटी बोल पड़ी .."

जैसे ही उसने रोटी का पहला टुकडा तोड़ा,उसे लगा कि थाली में रोटी नहीं ,उसने अपना बच्चा परोस लिया हो जैसे,वक्त भी कितना निष्ठुर है ..पेट की खातिर ..पेट का ही सौदा किया ..मैने", वो बडबडा रही थी और खा रही थी ...।।

©®sonnu Lamba



 




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