उस भवन की भव्यता देखते ही बनती थी, चारो तरफ बगीचा था जिसमें रंग बिरंगे फूल खिलते थे, पीछे की तरफ फलदार वृक्ष लगे थे, कितने ही सालों से माली दम्पति इसकी देखभाल करते रहे थे , जो अभी भी करते हैं और वहीं घर के पिछवाड़े बनी कोठडी में रहते, इनकी कोई संतान नहीं है,
लेकिन कोई दिन ये घर बच्चो की चहल पहल से आबाद था, रूकमणी देवी जो इस भवन की मालकिन हैं उनके चार लड़के थे, शादी ब्याह हुआ तो पोता पोती भी हुए, लेकिन..!
लेकिन ..चारो एक साथ ना निभा सके, अलग अलग शहरों में,अलग अलग रोजगार ढूंढकर बस गये , मालिक तो पहले ही चल बसे थे , अब इस भवन में रूकमणी देवी अकेली रहती हैं और ये घर सांय सांय बोलता है,
माली दम्पत्ति को अपने अकेलेपन से ज्यादा मालकिन का अकेलापन सालता है ,जीवन गाथा एकदम अलग होते हुए भी , नियतिवश आज दोनो एक ही नाव के सवार हैं ।
© sonnu lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुन्दर
थैंक्यू दीपाली
Please Login or Create a free account to comment.