दिसम्बर की कडकडाती सर्दी में,
आग जला रही हूं..
जला दूंगी उसमें...
सब एहसास...
दुख और निराशा के...
कुछ बेतरतीब ख्वाहिशें...
कुछ आंसूओ के किस्से...
कईं बेगैरत सी यादें...।
आग तेज हो गई है...
लाओ फेंक दूं इसमें,
रूखाई अपनो की...
और ढिठाई अपनी..
हो जाने दो सब स्वाहा...
इस तपिश मे भावनाएं
फिर जी उठेगी...।
अरे नई शुरूआत जो करनी हैं,
जनवरी आने वाली है...
जी भर जीना है अभी..!!
✍सोनू
©®sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Inspiring one👍
थैंक्यू सोनिया
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