किताबो के पन्नो में
जाने क्या देखा उसने..
पंख लग गये ..
उसकी कल्पनाओं को..
वो कभी कल्पना चावला बन ..
अंतरिक्ष की सैर कर आती..
कभी बछेन्द्री बन..
माउंट ऐवरेस्ट पर तिंरगा लहराती..
कभी हिमा दास बन..
ओलम्पिक में सोना पाती..
कभी प्रतिभा पाटिल बन..
राष्ट्रपति बन इतराती...।।
अरे ! ...इतना सब ...
इन किताबो में..
कौतूहल से आंखे चौडी हो गयी
और होठ भींच लिये उसने..
जमीन तो कब से उसके पास थी..
आज आसमान का पता पा गयी..
कुछ कर गुजरने की ..
इच्छा मन में हिलोरे खा गयी..
किताबो के पन्नो में..
आसमान देख लिया उसने..
पंख अपने खोज लियें..
हौंसला.... नाम दिया उन्हे.।।
sonnu Lamba☺
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