क्या थी तकनीक..और क्या रही व्याकरण..
कुछ भी तो मैने कभी पढा नही..
हिंदी भाषा आती थी जन्म से ही..
कभी मैने इसको सीखा ही नही.....।
रोना हंसना...तुतला कर बोलना..
चीखना ..चिल्लाना ..रोष में खौलना..
सब कुछ तो अभिव्यक्त हुआ इसमें..
कमी किसी ओर भाषा की खली नही..।।
कैसे इसका प्रचार हो...कैसे हो विस्तार..
हिंदी दिवस से होगा कैसे इसका उद्धार..
इतनी बाते मैं ना जानूं..ये सब मुझे पता नही...
हिंदी से प्यार बहुत है...प्रेम कभी घटा नही..।।
भाषा ये इतनी प्यारी है...सपने इसी में आते हैं..
लिखना है जो भी मुझको सब मैं लिख पाती इसमें..
शब्द इतने ..अर्थ इतने...शब्दकोश कम नही होता..
भाव कोई ऐसा ना होगा जो मैने इसमें लिखा नही..।।
हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं...❣❣
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