मेरी बेटी जब पांच साल की थी, तब मैं उसे ये सिखा रही थी कि किसी अजनबी की गोद में मत जाओ, कोई टोफी ,चॉकलेट दे.. पडोसी भी, उसी मत खाओ...!
उसकी आंखो में तब ये सवाल साफ दिखता था ,लेकिन क्यों..? लेकिन वो मुझे टुकुर टुकुर देखती रहती ..पता नही कितना समझती और खेलने चली जाती..!
मेरी बेटी जब सात साल की थी, तब उसे मैं बेड टच और गुड टच सिखा रही थी, वो समझती थी कि टच क्या होता है, बेफिक्र होकर खेलने और हंसते रहने की उम्र में," बैड " से बचना है.. मैने उसके छोटे से मस्तिष्क में रोप दिया था..!
मेरी बेटी जब दस साल की थी मैं टीवी में आती रेप की खबर से... नजरे चुरा रही थी, और फिर उसके ये समझा रही थी स्कूल में भी कहीं अकेले मत जाया करो, किसी सुनसान जगह तो बिल्कुल नही..?और एक एक बात घर आकर मुझे बताया करो..।
मेरी बेटी अब चौदह साल की है, और बहुत रोष में भरकर मुझसे पूछती है, मां ये सब क्या है..? लडकियों को इस तरह कुचल दिया जाता है..? डिसगस्टिंग..! हाउ शेम..!
रेप ..? पूरी दुनिया को डूब मरना चाहिए..!
और मैं अब भी कुछ नही कह पा रही हूं, उसे फिर समझा रही हूं, बचना कैसे है..?
मैं ..एक बेटी की मां थक गई हूं, अपनी बेटी को समझाते समझाते कि बचना कैसे है..? फिर भी आश्वस्त नही,
फिर मुझे याद आया कि मै एक बेटे की मां भी हूं,और मैने उसे बुलाकर पूरी बात बतायी ,उसे बताया कि कभी भी कोई भी पैरामीटर किसी भी लडके को ये इजाजत नही देता कि वो किसी लडकी से छेडखानी करे, उसे मनोरंजन माने... तुम्हें खुद का चरित्र हर हाल में सशक्त बनाना है, सभी महिलाओं का सम्मान करना, तुम्हे आना चाहिए.. अब मुझे थोडी संतुष्टि हुई कि वो मेरी हर बात से इत्तेफाक रखता है. .।
लेकिन एक महिला और एक बेटी की मां, हर घर में चितिंत रहती है,इस तथाकथित सभ्य समाज में... छेडखानी और रेप होता ही क्यों है..? दरिंदगी इतनी क्यूँ है..?
©sonnu lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bohot khoob sonnu ji
थैंक्यू @vridhi
बिल्कुल सही कहा
Well written.
Thanks @varsha ji
Thanks @Sonia ji
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