माँ वसुन्धरा

प्रकृति ....और वसुंधरा माँए हैं दोनों ,इनका दुलार महसूस करने से ही प्राप्त होता है ।

Originally published in hi
Reactions 1
628
Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 11 Oct, 2021 | 1 min read
Feelings Unique Self-confidence Life Sprituality

ये हरियाली और ये रास्ता

************


दोनो ओर गहरे हरे रंग से छितरे छितरे पेड़ और बीच से जाती एक संकरी सड़क इतना सूकून दे रहे थे कि मैं नहीं चाहती थी कि कोई किलोमीटर का पत्थर इस रास्ते पर मिले जो ये बताये कि बस दो या तीन किमी दूर और है तुम्हारी मंजिल , मन ऐसे लालच से भर गया था उस हरियाली को देखकर, कि ये रास्ता खत्म ही न हो वाला भाव मन में आने लगा था , वो नीरव शांति मन को गहरा सूकून दे रही थी , लिहाजा़ मैने गाडी़ एक साइड़ लगा दी और नीचें उतर कर पेडो़ के पत्तो से छनकर आती धूप से खेलने लगी , उस वक्त मेरा मन एकदम उस बच्चे जैसा हो गया जिसे किसी भी बात की परवाह न हो ,समय खराब हो रहा है या नहीं इसकी तो बिल्कुल नहीं ,वैसे भी अबोध बालक घडी़ देखना कहाँ जानता है ? उसके लिए तो तीनो सूईंया एक सी ही ,घडी़ के गणित से इतर वो केवल अँधेरा और उजाला ही पहचानता है ,और उस वक्त वो हरीतिमा से ओत प्रोत उजाला मन को सहला रहा था कुछ इस तरह कि ,भय जाता रहा ...भय जाता रहा जंगली जानवर के आ जानें का भी ,

निर्भय और निर्विकार ये केवल शब्द नहीं हैं ,उस पल महसूस किया मैने ये उजास है मन का ,और ये महसूस हुआ प्रकृति की गोद में ,माँ के हरे आँचल तले कितना सूकून है ,

ये शब्दातीत है ।

आज स्कंदमाता का दिन है और माँ वसुंधरा हम सबकी माता , हम सबको अपने आँचल में समेटे हुए है , महसूस हमको करना है उसका दुलार ।

जय माँ 🙏

~सोनूलांबा🦋


1 likes

Published By

Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.