""सादा जीवन उच्च विचार'" कहावत बहुत प्रसिद्द है..लेकिन इसकी बानगी निजी जीवन में देखने को मुश्किल ही मिलती है..."
लेकिन कईं बार अनजाने में ही हमको बहुत बडी सीख मिल जाती है, ऐसी ही सीख मुझे अपने पापा से मिली यूं ही बात बात में ..इस विषय पर..।
गांव में पहले अक्सर रास्ते से गुजरते सब एक दूसरे को राम राम करते हुए चलते थे...चाहे जहां भी जा रहे हो...जब हम पापा के साथ खेत पर जाते ...तो पापा भी अक्सर अपने से बडे और बराबर के लोगो को भी राम राम करते जाते...किसी किसी से हाल चाल भी पूछते ..।
ऐसे ही रास्ते में एक घर पडता था, वे लोग थोडा तल्खी में रहते थे ,चिडचिडे से,( हो सकता है.... कोई कारण भी हो, उनके इस तरह रहने का) उनको भी पापा ..राम राम करते और वो सही से जबाब भी नही देते..।
एक दिन मैने कहा कि आप क्यूं उनको बार बार राम राम करते हो..वो तो सीधे मुंह जबाब तक नही देते..।
पापा ने कहा...ना दे.."'
मैं तो इसी बहाने भगवान का नाम ले ले रहा हूं...और अभिवादन करना मेरा संस्कार है..उसे मैं कैसे छोड़ दूं ,
सीधे मुंह भी जबाब देने लगेगे..धीरे धीरे..।।
सादगी और सरलता के ऐसे ही अनेको अनुभव मेरे जीवन का हिस्सा है ...जो मुझे अपने पिता से सीखने को मिले... और मुझे गर्व है अपनी सादगी पर..।।
©®sonnu Lamba☺
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very good story
संदेशप्रद
Thanks @kumar sandeep
Thanks @mithun kumar
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