आज तो बडी ठंड है, सूरज भी अभी तक नही निकला, सुबह के सात बज रहे हैं, काश..!
ऐसे में कोई एक कप चाय दे दे तो, बिस्तर से उठने का थोडा हौंसला मिले, लेकिन कौन..?
अपनी ऐसी किस्मत कहां.?
और वैसे भी बैड टी तो तूने कभी पी ही नही, फिर आज क्यों सोच रही है, उस मुई चाय को... सारा जीवन बीतने को आया बिना भगवान को भोग लगाये,कभी सुबह की चाय ना पी सरला जी ने,
लेकिन ठंड और बुढापा जो ना करा दे, वो कम..।
खैर हिम्मत करके जैसे तैसे वे बिस्तर से उठ गयी, फिर बडबडाई, बुढापा अपने आप में ही एक रोग ऊपर से ये बुढी हड्डियाँ कटकट बोलें, डाक्टर कहें, तेल खत्म हो गया, हड्डियों का.. अरे होता भी कैसे ना, पूरी जिंदगी जो घर गृहस्थी में तेल निकला ,उसका भी क्या ..?
गीजर ओन किया, बालकनी में चिडिया को दाना डाला, अब कुछ कोहरा छठ सा रहा था लेकिन सूरज का कहीं नामोनिशान ना था, लगता था जैसे कम्बल तान कर सो गया हो, वे नहाने चली गयी, नहाकर भगवान को भोग लगाया, पूजा की, और फिर सूरज को ढूंढती बालकनी में आ पहुंची ,सूर्य को जल जो देना था.. "
तभी दायी ओर से एक आवाज कान में पडी.. "
"आंटी जी.. "नमस्ते..!
"मैं.. आरोही.. "
"आपकी नयी पडोसी .."
अच्छा, आप यहां रहने आयी हो.. सरला जी ने उसे गौर से देखते हुए कहा.."
जी आंटी.." तुम " कहिए ना आप
"आपकी बेटी जैसी ही... कहते कहते वो सकपका गयी.. "
"अरे हां हां.... मेरी बेटी जैसी ही हो.. "
कहां है आपकी बेटी..?
"वो ससुराल में अपने, शादी हो गयी बेटा, उसकी.. "
जी... आप यही रूकिए आंटी,
मैं अभी आती हूं.. वो अंदर गयी और ट्रे.. में दो कप गरमागरम चाय लेकर आयी... एक कप, सरला जी की ओर बढ़ती हुई बोली लिजीए..!
"कहना तो चाहती थी वे, कि मैं ऐसे कैसे पी लूं.. "मैं तुम्हें जानती ही कितना हूं... लेकिन उसकी प्यारी सी मुस्कान देखकर.." ना" ही नही बोल पायी,और चाय का कप उठा लिया, बालकनी का यूं आपस में मिला होना भी कितना फायदेमंद हो सकता है, उसे आज ही पता चला, आज से पहले ऐसा कोई किरायेदार इस फ्लैट में आया ही नहीं था, जो बिना किसी काम के बात करें..!
"कहां.. खो गयी आप.. "
चाय पीजीए ना.. ठंडी हो जाएगी, अब सूरज भी अपनी चादर हटा मुंह दिखाने लगा था, वे वही पडी चेयर पर बैठ गयी,
बेटा तुमने पहले से ही दो कप चाय बना रखी थी,
जी, मैने आपको चिडिया को दाना डालते देखा था, मैं सनराइज देखने आयी थी लेकिन वो तो नही दिखा, आप दिख गयी तो मैने दो कप चाय चढा दी.. "
अच्छा बहुत सुबह उठ जाती हो, आजकल के बच्चे तो मुश्किल से उठते हैं, जल्दी.. "
मुझे सुबह पसंद है, शांत, ताजगी भरी, सनराइज देखती हूं, कुछ देर तक ,तो दिन भर की ऊर्जा मिल जाती है.. "
और फिर.. आफिस भी तो जाना होता है, उससे पहले जरूरी काम भी करने हैं.. "
"तुम्हारे मम्मी पापा.. "
वो गांव में रहते हैं, मुझे जोब के लिए यहां आना पडा .."
अच्छा.. घर आओ बैठकर बात करते हैं शाम को.. "
"हां जरूर, लेकिन एक शर्त पर.. "
क्या.. बताओ..?
सुबह की चाय आप मेरे हाथ की ही पीयेंगी मेरे साथ, रोज यही.. "
ठीक है लेकिन मेरी भी एक शर्त है.. तुम ओफिस जाने से पहले नाश्ता मेरे यहां करोगी, मैं बालकनी में नही दूंगी, हां बाकायदा दरवाजे से आना होगा.. "
ठीक है, वो तो मैं आ जाऊंगी, लेकिन आपको मुश्किल होगी, दो लोगों का खाना बनाने में.. "
कैसी बात करती हो बेटा.. पूरी जिंदगी खाना बनाने में ही बीत गयी, ऐसा ही एक का बनाना, ऐसा ही दो का.. उसकी चिंता तुम मत करो..!
ठीक है आंटी जी, फिर मैं आती हूं, तैयार होकर.. "
आज सरला जी नाश्ता तैयार करते वक्त अलग ही उत्साह में थी, एक लड़की जो अभी घंटा भर पहले तक अजनबी थी, उसके लिए भी वे ऐसे ही मन से बना रही थी जैसे अपने बच्चो के लिए..।
थोडी देर में ही हंसती खिलखिलाती आरोही दरवाजे पर थी,
"आओ बेटा.. "
जी आ गयी. .लेकिन आप बेकार परेशान हुई, मैं खुद बना लेती ना. .."
अरे कहा तो था तुम्हे कि. ."
लो ये खाओ गरमागरम चीला, और बताना मुझे कि तुम्हे पसंद क्या है खाने में.. "
अब ये रोज का सिलसिला हो गया था, पहले वे दोनो बालकनी में चाय पीती, फिर ओफिस जाते हुए आरोही सरला जी के पास नाश्ता करते हुए जाती.. जाते जाते ये पूछना नही भूलती कि आपको कुछ चाहिए तो नही बाजार से, पहले तो सरला जी संकोचवश कहती नही थी, फिर धीरे धीरे बताने लगी, शाम को लौटते वक्त वैसे भी वो हमेशा कुछ ना कुछ सरला जी के लिए लाती और पूरे अधिकार के साथ उनके हाथ में थमा जाती, और सरला जी उसे शाम को भी कुछ ना कुछ खिला ही देती थी ,फिर वो हंस कर कहती, ये चीटिंग है आंटी.. आपने सिर्फ ब्रेकफास्ट की बात की थी.. "
तो तूने भी कब कहा था पडोसी से बेटी बन जायेगी, और वे दोनो खूब हंसती.. "
ममता का खाली स्थान स्वत: ही वात्सल्य से भर गया था.. "
आरोही ने अपने हिस्से की ममता खोज ली थी और सरला जी ने वात्सल्य ... ।।
इस ठंड के इस मौसम में उनका ठिठुरता मन गुनगुनी धूप से भर गया था ,और उस धूप का नाम था आरोही..।।
©®sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत प्यारी
Thanks @varsha ji
Amazing story...Pyar aur apnepan se bhari...
Thanks shubhangini ji
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