सुबह सुबह की बातें..

गुलाबी सुबह की सुनहरी बातें...

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 24 Oct, 2020 | 1 min read
Life Nature Sunrise Love Naturelove Romance

सुबह सुबह पौने छ: बजे ...सारी कायनात सुरम्ई अंधेरे के आगोश में है...गोया कि सब उसी रंग में रंगे हो...सब महसूस तो हो रहे हैं लेकिन रंग अभी सोये हैं...गुलाबी गुलाबी ठंड के स्पर्श से सिकुडे सिकुडे भी..।


आवाजें सुनो तो तरह तरह की आ रही हैं..चिडियों के चहचहाने की ..कव्वो के कहकहाने की और मंदिर से घंटियो की ...और दूर सडक से गाडियों की घर्र घर्र और पौं पौं भी..कभी कभी मैं सोचती हूं..सडके कितनी बैचेन होती होंगी ...इन्हे कोई आराम ही नही करने देता..रात दिन की आवाजाही...।


पूरब दिशा में सूरज ने अपनी आंखो को धीरे से खोला है...संतरी रंग फिजा में घुलने लगा है...शरद के आगमन का असर सूरज के लक्षण देख कर हो रहा है...अब वो भी अपनी चादर देर तक ताने रहते हैं...। छः बज चुके हैं..और

...उन्होने अपनी सतरंगी चादर हवा में लहरा दी है...सभी सहमे सहमे रंग खिल कर मुस्कुराने लगे हैं...वो देखो हर सिंगार कितनी जोर से खिलखिलाया है कि मुस्कुराहटें झर गयी हैं छोटे छोटे सुन्दर फूलो जैसी..इन फूलो को जमीन से बीन लो तो भी दैवीय लगते हैं..।


और वो गुलाब अपने सुर्ख लाल रंग में इतरा रहा है...ये क्या ओस की एक बूंद ठहरी है..उसकी पांखुरी पर जो उसे छोडकर जाना नही चाहती ...उदास हैं..। हरी हरी बेले ...बलखायी हैं थोडा ओर ज्यादा ...मानो कह रही है...अजी उठिए भी अब आलस छोडिए...सूरज दादा आये हैं...।


चिडियां अपने दाने पर आ गयी हैं...मेरी बालकनी के कोने में..कुछ खाती हैं ..कुछ बिखराती हैं...चूं चूं करके जाने क्या कह जाती हैं..लेकिन एक बात तय हैं अब वो मुझसे घबराती नही है...मेरा वहां होना ..उनको छिप जाने को मजबूर नही करता...।


सूरज दादा को प्रणाम करके मैने अपने सामने रखे चाय के कप पर निगाह डाली उसमें से उडती भांप...आमंत्रण दे रही है...पी लिये जाने का और मैं चाय के एक एक घूंट घूंट के साथ प्रकृति को महसूस कर रही हूं.....। पांचो इंद्रियां काम में लगी हैं...रंग..गंध..स्वर..स्पर्श..स्वाद ...सब एक साथ...खुद के साथ खुद का होना और फिर महसूस करना की पूरी कायनात रिदम में है...।

गाइये ना ....#कुमार जैसे गाते हैं...


'"यशस्वी सूर्य अम्बरचढ़ रहा है, ..तुमको सूचित हो,


विजय का रथ सुपथ पर बढ़रहा है, ..तुमकोसूचित हो,


अवाचित पत्र मेरे जो नहीं खोले तलक तुमने,


समूचा विश्व उनकोपढ़ रहा है, तुमको सूचित हो.....।।।""


चलिए अब गृहस्थी की जिम्मेदारियां बुलाती है...

बाते तो यूं ही चलती रहेंगी...

सुबह की राम राम 🙏


©®sonnu Lamba☺

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Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Shubhangani Sharma · 4 years ago last edited 4 years ago

    Wow...Very beautiful...I can feel morning beauty by ur words...❤️❤️

  • Namrata Pandey · 4 years ago last edited 4 years ago

    Beautiful✨

  • Sonnu Lamba · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thanks @shubhangini ji

  • Sonnu Lamba · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thanks @namrata ji

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