खाली पडे मकान अवसाद से घिर जाते है.....वे धीरे धीरे घुटतेे रहते है ,लोग कहते है... दीवारे बदरंग होती जा रही है....घुटन किसी को खिलने कहां देती हैं.......
उनके कानो में गूंजती रहती है कुछ किलकारियां... हंसी ठिठोलियां....कभी कभी जब यादे हद से गुजर जाती है,वे बेसाख्ता रोते हैं....और लोग कहते है सीलन आ गयी है।
कौन कहता हैं वहां मौजूद चीजे बेजान होती है.....उनके कोई एहसास नही होते...दरवाजो से पूछो कितने स्पर्श है उनके पास छोटे मुन्ने से लेकर बूढी काकी तक के स्पर्श ....वो पहचानता है अभी भी उन उंगलियो की छुअन को.....खिडकियों से पूछो...कि एक जोडी आंखे उनमे से बाहर क्यू झांकती रहती थी.....कुर्सियां उदास हैं...कुछ कहना चाहती है ...अब वे चरमराने लगी है....कोई संगी नही है उनका...खाली पडा झूला याद करता है बच्चो की तू तू मैं मैं...पहले मैं झूलूंगा...पहले मैं....और याद करता करता खुद ही हिलने लगता है...और लोग समझते है ,हवाओ ने हिलाया है...।
खाली पडे मकान यूं ही धीरे धीरे खंडहर हो जाते है.....अंतहीन इंतजार में.......।
और मै सोच रही हूं कि कुछ मकान बहुत जल्दी खाली हो जाते हैं...बेटे चले जाते है परदेस कमाने और मां..बाबा...ऐसी जगह जहां स़े कोई वापिस नही आता.....।
कभी कभी ये खाली पडे मकान ही बेटियों के पीहर हो जाते है।
✍सोनू...😃
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
दिल को छू गया
थैंक्यू @ namrata🌸
Its one of my favourite...💖💖
Thanks dear
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