किताबों से कभी गुजरो तो यूँ किरदार मिलते हैं,
गए वक्तों की ड्योढ़ी में खड़े कुछ यार मिलते हैं,
जिसे हम दिल का वीराना समझकर छोड़ आये थे,
वहाँ उजड़े हुए शहरों के कुछ आसार मिलते हैं !!
हां. ..मिलते तो हैं, अगर अतीत में कहीं थोडा सा मन रह गया हो या फिर यादो में अतीत के सूकून चले आये हों... और इस दौड़ती भागती जिंदगी में कभी कभी आपका हाथ पकड कर बिठा लेते हों...!
बस यूं ही यू टयूब स्क्रोल करते हुए एक दिन गुलजार निर्देशित किरदार धारावाहिक पर उंगली क्लिक कर गयी, सबसे पहले तो शीर्षक गीत में ही जगजीत सिंह की आवाज गहरे उतर गयी. ..और फिर छायांकन, वही सूकून जो हमसे छूट गया है, बीते वक्त के साथ, वो वहां स्करीन पर है, कलाकारो के वही चेहरे, जो किसी जमाने में टीवी और फिल्मो के माध्यम से सामने आते रहते थे, अब कहीं खो गये हैं ...!
हर ऐपिसोड में नयी कहानी, और कहानी बिल्कुल कविता जैसी, सादगी और सरलता से भावनाओं का प्रवाह... एक अलग ही दुनिया में लेकर चला जाता है, और कहानियों का कोई अंत नही हो जैसे... आपको बीच मझदार में ले जाकर वो आपका हाथ छोड देती हैं...फिर आप निशब्द होकर वहीं खडे रहिए या एक टीस महसूस किजीए दिल के किसी कोने में या बीते दिनों के गलियारो में घूम आइये..!
एक ऐपिसोड का लिंक दे रही हूं जो मित्र पुराने दिनो का जादू महसूस करना चाहें, देख सकते हैं ...।।
https://youtu.be/YF7Vwq55uOk
©®sonnu Lamba
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