फिलींग आत्मनिर्भर

हास्य

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 15 Jun, 2020 | 1 min read

अरि भाग्यवान.. खाणा कहां है आज..! 

बहुत जोरो की भूख लगी है... "


मैने तो अपणा बनाकर खा लिया.. "

आप अपनी रोटियां सेक लो.. आज सब्जी मणै बना दी है, कल से उसका भी देख ल्यो, खुद ही.. "


अर मैं नू पूछूं ,ये चानचक इतणा बदलाव कहां से लायी तू.. "

"कहां से के मतलब, सुणै ना कल मोदी जी ने क्या कहा था.. "

"क्या कहा था.. . "बोल 

यही के सब आत्मनिर्भर बनौ.. "

"और सब का मतलब तो सब ही हौ णा.. "


अच्छा तो तू हमणै आत्मनिर्भर बणावेगी, रोटी सेक के खाने से ही बनेंगें हम आत्मनिर्भर.. "

और वो जौण आटे की रोटी तू बनाकर खा गयी, वो पिसवाकर कोण लाया था.. "


मैं ना लायी थी ..जाणू मैं, सुनाने की जरूरत नाह.. "

पर आप भी ना लायै... राम खिलावन लाया था.. "


और वो खेत बोया किसने, काटा, कमाया किसने, वो गेहूँ आये कहां से.. ये तो तनै सोचा ना होगा.. "


मनै सब सोच लिया कोई अकेले काम ना करते हो खेत पर नौकर रखो, मजदूर रखौ,बैठकर हुक्म चलाऔ ,और घर आके म्हारै ऊपर.. "


अजीब मुसीबत है अब इस औरत को कौण समझावे भूख भी बहोत लगी है.. "

आत्मनिर्भर, बनौ अब ईहां.. "

बेशर्म खाकर खुद तो विश्राम फरमावै.. "


लाग रा कैडी पकड ली आज.. खुद ही चलौ भाई रसोई में, सब्जी तो कहें ..ही बणी है.. "

अरी ..अक्लबंद आटा तो होगा ही.. "

हां.. हां रखा.. जाऔ, सौण दो मुझे.. "


मरता क्या ना करता बेचारा रसोई में जा , आज आटा, तवा ढूंढने लगा.. हां यो ही होगा कपडे से ढका हुआ.. "


अरे.. "


यो तो कतई कसूती... औ थारै की, यो तो थाली लगी रखी, रोटी, सब्जी, सलाद, अचार, पापड.. "


अर जीवै महारी जान, यूं ही खून जलावै थी.. "

वाह जी वाह.. "


अजी कित गये,... कोई आवाज ना आवै रसोई से किसा खाणा बनै, जो आवाज भी ना आवै.. "

हैं जी.. बोलते क्यूं ना.. "


अरे तू सोजा.. क्यूं जान खावै.. "

मैं खाना बनाकर ,थाली लगाकर, उसकी फोटो खींच रिया.. स्टेटस अपडेट करना... फिलिंग आत्मनिर्भर ...विथ सैल्फ मेड लंच.."


ओहो, अब या प्रदर्शनी भी लगेगी,दूसरो की मैहनत नै अपना बतातै शरम ना आवैगी आपणै.. "

अरै दूसरा कौण.. रानी, तू तो सबसे ज्यादा अपनी, थाली ने दैख के ही पता लग गया था.. ।

खूब बनाया तनै महारा आज लेकिन.. "

भगवान कसम, एक बैर तो गुस्सा आ यी गया था.. "

बस फेर... !


फेर हमणै सोचा अभी चुप रहकर, पहले कुछ खा ई लै.. "

और रसोई में जातै ही थाली दिखगी तो ठंडी ठंडी बर्फ ही पडगी.. महारे ऊपर तो.. "


अर जा, एक गिलास पाणी तो ला दे भाग्यवान. . "


खुद ले आऔ जी अपना पाणी.. सुणा णा... "

"मोदी जी ने के कहा था.. "

दोनो एक साथ बोलै और हंस पडै..। 


लो पाणी पियौ.. मैं जानू गिरहस्थी की गाडी के दोनो पहियें साथ साथ चलै तो ही आत्मनिर्भर कहलावैं.. "


और हां सुणौ.. "

अब शाम की चाय तो.. "


बना दूंगा... बना दूंगा.. "अब ये मत बताइयो कि मोदी जी ने क्या कहा था... दोनो के ठहाको से कमरा गूंज गया फिर से.. "।।


©®sonnu Lamba 


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