गीत ठीक चार साल बाद अपनी नानी के गांव आया था, पहले तो वे हर साल गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर आते थे लेकिन फिर उसके पापा ने कनाडा शिफ्ट कर लिया, वो देश ही चार साल बाद लौट रहे थे ...।गाडी गांव की सडक पर सरपट दौड रही थी और उसके मन में सारी यादें हिलोर ले रही थी, मम्मा वो देखो तालाब, जहां हम नहाते थे ....।
"हां लेकिन अब नही नहाना, वहां हाइजीन का ख्याल रखना पापा ने कहकर भेजा है, .."
उसने "हूं " बोलकर सिर हिला दिया, लेकिन उसके मन में तो खूब सारी धूल मिट्टी में खेलने की इच्छा जग रही थी.. "
कुछ देर बाद, वो नानी के घर में थे...!
नानी ने अपने झुर्री वाले हाथ मां के ओर उसके सिर पर रख दिए... खूब बलैया ली, मामी जल्दी से ठंडा ठंडा शरबत ले आयी, खूब आनन्द आया लेकिन असली आनन्द तो मन के किसी कोने में बैठा गांव का चप्पा चप्पा छानने की बांट जोह रहा था... "
इशारो ही इशारा में मामा के बच्चो से बात हो गयी कि सब सो जायेंगें दोपहर में ..तब चलेंगें.. "
और वही हुआ, चारो बच्चे चुपके से कमरे का किवाड़ खोलकर बाहर निकल गये... दो पडोस के बच्चे भी साथ ले लिए...!
पहले तो तालाब में खूब नहाये ,फिर आम के बाग में पेड़ पर उछल कूद की, आम खाये ..."यही तो असली मजे रहे थे उनके गरमियो की दोपहर के जिनको वो मिस करता रहा था.. "
"चलो हाइड एंड सीक खेलते हैं, गीत ने कहा.. "
"छुपमछुपाई... मनोज बोला.. "
"हां.. वही... "
"लेकिन छुपेंगें कहां.. तरूण बोला.. "
"वो वहां सामने बडा सा घर दिख रहा है.. वहीं चलते हैं.. "
खाली दिखता है...और पेड भी ऊंचे ऊंचे हैं वहां ... गीत ने कहा "
"ना बाबा ना... वहां नही जायेंगें, मां ने मना कर रखा है... सचिन बोला .."
"मां ने तो तालाब पर आने को भी मना किया था.. गीत ने कहा.. "
"अरे वो बात नही है... इस बंगले में भूत रहता है, सभी गांव वाले कहते हैं.. कपिल बोला... "
"यू मीन.. भूत बंगला... " वैरी इनट्रेस्टिंग... "
"चलो फिर देखते हैं... गीत ने एक्साइट होकर बोला.. "
ना भई मैं तो ना जाऊंगा ..मुझे तो डर लगता है... अनुज बोला.. "
डरपोक कहीं का... हम छ: हैं, कोई भूत क्या कर लेगा, चलो मजा आयेगा कुछ नी होता भूत वूत .."
डर तो सभी रहे थे मन ही मन लेकिन गीत की जिद के आगे किसी की एक ना चली और सब चल पडे .."।
बडे बडे घने पेड होने की वजह से अंधेरा सा ही था वहां.. मैन गेट से अंदर पहुंचे, ऐसा लगता था वहां बरसो से कोई आया ही नही हो, जमीन पर कदम सूखी पत्तियों पर पडते तो ऐसी चर चर की आवाज आती ...अनुज ने मनोज को कसकर पकड लिया, मरवाओगे तुम.. "
अंदर दरवाजे पर ताला नही था, कमाल.. कोई ताला नही, गीत बोला.. चलो भीतर चलते हैं, सचिन ने धीरे से दरवाजे पर धक्का मारा, दरवाजा नही खुला,... चलो यार! ये दरवाजा ना खुलेगा ,वह अपना डर छुपाते हुए बोला.. अरे कैसे नही खुलेगा ,मिलकर धक्का मारो..।
उन्होनें मिलकर जोर से धक्का मारा ,लकडी का दरवाजा भडभडा के गिर पडा ,उस आवाज से सब डर गये ,अरे चलो भी यहां से....अनुज फिर बोला, नही तो मैं तो जा रहा हूं, मुझे नही जाना अंदर... कहकर अनुज चला गया..।
जब यहां तक आ ही गये, अंदर चलते हैं... गीत ने कहा,धीरे धीरे पांचो अंदर जाने लगे, वहां भयंकर सन्नाटा था, इतने जाले लगे थे कि आंख में भर जाते थे, कुछ पुराना सामान था, जिस पर धूल जमीं थी, सामने एक ओर दरवाजा था उस पर काले रंग से एक खोपडी का निशान बना था, अब वे सचमुच डर गये.."
"चलो यार यहां से अपनी आवाज ही, अपने कान में वापस आकर डराती हैं, ऊपर से ये खोपड़ी देखो कैसे दांत दिखा रही हैं जैसे खा जायेगी अभी..मनोज बोला "
और अनुज भी घर जाकर बता देगा, बुआ डांटेगी, सचिन बोला.. "
"चल यार गीत.. "
"अब गीत को भी घबराहट होने लगी थी.. "
"हां.. हां, चलो फिर .."
"जैसे ही वे बाहर की ओर जाने को मुडे ,वो खोपड़ी आगे आकर खडी हो गयी .."
"अब नही जा सकते तुम लोग... यहां से "
"जो यहां आ जाता है, एक बार ..फिर नही जाता.. "
"हम तो बच्चे हैं.. जाने दो ना, उन्होने गिडगिडाकर कहा.. "
"जो यहां आता है, वो भी हमारे जैसा हो जाता है, वापस तो कोई गया नहीं .."
अब वे डर के मारे कांप रहे थे,
आंखो ही आंखों में इशारा हुआ कि खोपड़ी को धक्का देकर भाग जाते हैं..!
जैसे ही उन्होने खोपडी को हाथ लगाया, उसके जैसी हजारो खोपडियों ने उन्हे चारो ओर से घेर लिया... "
भयंकर अट्टहास से उन्होने अपनी आंख और कान दोनों बंद कर लिए...!
और गिडगिडाने लगे.. "जाने दो ना प्लीज... "
अरे चल... उठ तो, तभी तो चलेंगें, मनोज गीत को उठा रहा था,
"वो खोपडियां कहां गयी... वो अभी भी डर से कांप रहा था "
"कौन सी खोपड़ी..."
"चल जल्दी सब सो गये हैं, तालाब पर नही चलना.. सब लोग बाहर इंतजार कर रहे हैं.. "
"हां.. हां.. चलो.. लेकिन मनोज, वहां कोई भूतबंगला तो नही है ना.. "
"अरे नही... वहां तो बाग और खेत ही हैं.. "
"लगता है कोई डरावना सपना देख लिया... "
"हां... हां सपना ही था... "
"थैंक गोड !..गीत बुदबुदाया ..!!
©sonnu Lamba
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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
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