आर्चीज गैलरी

नब्बें का दशक और ग्रीटिंग कार्डस

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 11 Feb, 2021 | 1 min read
Gratitude Freinds Friendship

"पूजा आज कॉलेज से जाते हुए आर्चीज गैलरी होकर चलेंगें.. "

"नहीं यार प्रीती आज मुझें घर जल्दी जाना है.. "

"चल फिर लास्ट लेक्चर छोड देंतें हैं, थोडा जल्दी निकलते हैं ना.. "

ओहो..! 

मैं भी तो सूनूं ऐसा कौन सा जरूरी काम है, जहां तक मुझें याद है किसी का बर्थ डे भी नहीं आ रहा या फिर कोई सीकरेट है मुझसे प्रीती जी...! 

(पूजा ना छेडा) 

"नहीं यार ,कल पडोस की एक लडकी गयी थी, बोल रही थी कि बहुत सारे प्यारे प्यारे कार्ड आये हैं और सुंदर सुंदर गिफ्ट भी.. "

"तो तुझे लेनें है गिफ्टस.. "

नही यार.. जितना उन क्यूट क्यूट टैडी पर प्राइस टैग लगा होता है, उतना तो अपना पूरे महीनें का पोकेट मनी भी नहीं.. तुझे पता नहीं कोमन फ्रैंड का बर्थडे होता है तो दोनो शेयरिंग से गिफ्ट देते हैं.." याद याद है, सब याद है.. लेकिन तुझे लेना आरचीज गैलेरी से ही होता हैं.. "

हां.. लेना होता है, 

तुझे पता है ना मुझे वहां पहुंचते ही लगता है जैसे मैं परीलोक में आ गयी हूं, चारो तरफ रंग बिरंगे टैडी, चॉकलेट, विंड चैम्स ,और सुंदर सुंदर संदेशो से भरे लव कार्डस ...जितना प्यार उन कार्डस पर लिखा है, उतना तो फिल्मों में भी नहीं और मधुर मधुर बजते गाने.. 

" एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा... 

"सोचेंगें तुझें प्यार... करें के नहीं... "

और..... !


रूक जा मेरी अम्मा..! ब्रेक लगा.. जरा, ये सब तो मुझे पता है लेकिन गानों से याद आया कहीं वो काउंटर पर बैठा चश्मिश ये रोमेंटिक नम्बर तेरे लिए ही तो नहीं बजाता, जब तू उस गैलरी के प्रवेश द्वार पर कदम रखती हैं.. "

"अब पीटेगी तू पूजा.. "

"नही सीरयसली यार, जब तू कहती हैं कि डिस्काउंट तो मिलना चाहिए थोडा बहुत, कैसे शरमाते हुए.. लैस कर देता है बिल से एमाउंट "

"रहन दें तू.. नहीं जाना तो मत जा, अब ये कहानियां तो मत ही गढ.. जा रही हूं मैं.. "

"अरे रूक.. चलती हूं, तेरे साथ आरचीज गैलेरी "

"लेकिन बता तो तुझे लेना क्या है.. "

"थैंक्यू टू बी माई फ्रैंड"

मतलब...! 

"मतलब.. थैंक्यू कार्ड, पूजा रानी.. "

किसके लिए..? 

"मेरे अलावा ये कौन फ्रैंड पैदा हो गया तेरा अब.. "

चल खुद ही देख लेना जब उसे दूंगी..कहते हुए प्रीती , पूजा का हाथ पकडकर आर्चीज गैलरी में घुस गयी, प्रीति मिनी कार्डस की रैक से एक एक कार्ड उठाकर,उन पर लिखे मैसेज ध्यान से पढ रही थी, और पूजा ऐक्वैरियम के पास खडी होकर उछलती मछलियों को देख रही थी, और इतनी जल्दी उसने देखा, प्रीति काउंटर पर है और उसने गिफ्ट पैक भी करा लिया.. !

ये क्या मुझे दिखाया भी नहीं क्या लिया, जब इतना ही सीकरेट रखना था तो मुझें लायी ही क्यों थी..? 

"पूजा ने गुस्सा दिखाया.. "

"प्रीती फिर उसका हाथ पकडकर गैलेरी से बाहर आ गयी मुस्कुराते हुए.. "

भुलक्कड.. आज हमारी दोस्ती को पूरे दस साल हो गये.. ये तेरे लिए..! 

कहकर प्रीती ने वो गिफ्ट पैक पूजा के हाथों में रख दिया और पूजा ने अपने बैग से प्यारा सा ब्रसलैट निकाल कर उसके हाथ में पहनाया,और एक लिफाफा उसको देते हुए बोली, मैं कोई भुलक्कड नहीं हूं, मैं तो घर से ही लेके आई थी, तेरे लिए गिफ्ट.. तू ही लेट लतीफ है, सोचा था कि जाते वक्त दूंगी, सरप्राइज..! 

थैंक्यू दोस्त..! 

ए ..! अब ज्यादा इमोशनल मत कर, 

चल आइसक्रीम खातें हैं ,और घर पहुंचते हैं, मम्मियां इंतजार करती होगी..।। 

©®sonnu Lamba

(नब्बें के दशक में हर शहर में, कस्बों में भी आर्चीज गैलेरी हुआ करती थी, जहाँ हर तरह के कार्डस और गिफ्टस का क्लैक्शन होता था, वो चिट्ठी पत्री और ग्रीटिंग कार्डस का जमाना था, तब विशिज बहुत जतन से दी जाती थी, आज की तरह डिजीटल तरीके से नहीं, तब वो गैलेरीज भी किसी ना किसी की फैवरेट जगह होती थी, वो गैलेरी, जहां सोरी, थैंक्यू, नीव इयर, बर्थ डे, वैलेनटाइन, फ्रैंडशिप ,फैस्टिवल, सब तरह के कार्ड होते थे..! )


 


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