* पूरी दुनिया में उम्मीद का पौधा संभावनाओं के बीज़ से ही उगता है ..!
* बीज़ से अंकुर निकलने की प्रक्रिया में कितना दर्द होता है ये मां ही जानती है ,चाहे वो हमारी मां हो या धरती मां ..!!
* विचार भी बीज़ ही है और उनसे रची जाने वाली कविता , कहानी ,गीत ...नन्ही पौध ,पेड़ ,और फूल..!!
* कितनी खूबसूरत बात है , हम फल खाने को पेड़ लगाते हैं और वे हमको साथ में नन्हे पौधो का उपहार भी देते हैं ,बीजों के रूप में ..!
* बीजों को एक बार ठहर कर निहार लिजिए और फिर बोईये , जल्दबाजी और अधीरता में गलत बीज बो दिया तो पौधा देखकर ही पता चलेगा गलती हो चुकी है ।
*हमेशा याद रखिए खरपतवार को कभी बोना नहीं पडता , जबकि जो फसल चाहिए उसको उगानें के लिए पर्याप्त प्रयास करने होते हैं ।
और आखिरी में मेरी एक कविता से कुछ लाइनें....!
*मिट्टी में रोपे गये बीज
कभी जाया नही होते
वे अंकुरित जरूर होते हैं
कभी ना कभी...
उचित समय और वातावरण पाकर..।।
©sonnu Lamba
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