ये जीवन...
बस यही सत्य है..
क्या जन्म से पहले भी ,मैं जीता रहा हूं..
क्या मरने के बाद भी ,मैं जीता रहूंगा..
ये ब्रहमांड अनन्त है..
ईश्वर अनन्त हैं..
और जनम मरण के चक्र मे ..घूमता
मेरा संघर्ष भी अनन्त हैं...
फिर नश्वर क्या है..
जगत मिथ्या, जिसे कहा..
वो क्या है....
सत्य क्या है..
माया क्या है..
मोह क्या है..
वैराग्य की पराकाष्ठा क्या है..
आंखो से जो नही दिखता ,वो क्या है...
क्यूं ,बाहर किसी सवाल का जबाब नही...
क्यूं,भीतर की यात्रा की दरकार हैं...
जहां मै हूं..वो सत्य नही..
जो मैं जान नही पाया...
वो रहस्य ...क्या है...
अनन्त सवालो के साथ..
अपने मन के कुरूक्षेत्र में..
मैं भी असहाय खडा हूं, केशव...
जबाब दो...मेरे सवालो के जबाब क्या है...
प्रारब्ध को बेताल की तरह ढो रहा हूं ,कब से...
कुछ तो बताओ ..मुझे जाना कहां हैं....।
©®Sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bohot khoob...
लाजबाब
आपकी हर रचना उम्दा होती है
आप सभी मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद, प्रोत्साहन हेतू... 🌺🌺🙏🙏
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