कविता मैनें तुझे हमेशा ही जीया है..!
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अल्हड उम्र में जब सपने देखें तो..
अनायास ही लिखा ...
जी चाहता हैं , मैं चिराग बनूं
और अंधेरो से लडा करूं..।
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जब दिल की टूटन को सहा..
तो कलम ने सांत्वना दी..
क्यूं पत्थर दिल इंसानो में
पानी सा मन ढूंढ रही हूं..।
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परेशानी में सखि ने कहा..
मेरे लिए कुछ लिखो ,
तो कविता बोल उठी...
राह जब कठिन हो जाए,तो मायूस ना होना
रफ्ता रफ्ता वक्त का स्याह बादल उड जायेगा..।
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पिता का साया अचानक सर से उठा तो
फफक फफक कर रोई ...कविता,
जीवन के कटु सत्यो के आगे
जज्बातो की कीमत क्या होती है..?
वे चले गये और हम रो रहे हैं..
इन बातो की कीमत क्या होती है..।
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शहर की आबो हवा से मन ऊबा तो
कविता सवाल पूछ बैठी ,
पत्थरो के इस शहर में..
जाने क्या तलाश रही मै..?
गांव अपना छोडकर...
बहुत उदास रही मैं...।
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जीवन के अर्थोंं को विस्तार मिला..
तो कलम बोल उठी...
जीवन एक यज्ञ है...और हम आहूति,
पूर्ण स्वाहा हो जाना ही है ..हमारी नियति..।
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भावो की संकरी पगडंडियो पे...
हमेशा तू मेरे साथ रही है....
कविता...तुझे मैने शिद्दत से जीया है, हमेशा ।।
©®sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर लिखा है
थैंक्यू जी
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