क्या वो प्रेम था..?

कईं बार लोग अपने स्वार्थ में इतने अंधे हो जाते हैं कि सामने वाले को इंतहा दुख देते हैं, और नाम देते हैं प्रेम...

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 23 Nov, 2020 | 1 min read
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क्या वो प्रेम था..? 

प्रेम नही था तो क्या था.. ?

उस दिन सडक पर जब मेरी चप्पल टूट गयी थी तो उसने कैसे चप्पल को हाथ में उठा लिया था, और तुंरत पास के शो रूम से नयी चप्पल लाकर दी, बिना चप्पल के मुझे एक कदम भी न चलने दिया, हर छोटी से छोटी बात के लिए मनुहार, हंसी, मजाक, प्यार, गजब का आकर्षण था उसकी बातो में भी, मैं भी खिंची चली जाती थी उसकी ओर..! 

लेकिन जब उसने परपोज किया, मैं हां नही कह सकी.. क्योंकि मैं जानती थी कि हमारा सामाजिक परिवेश अलग है, जाति , यहां तक कि धर्म भी अलग है.. रिश्ता नही बनना तो किसी को , किसी वादे के बंधन में क्यूं बांधना..? 

उसने तरीके तरीके से पूछा और मैने बार बार "ना " कहा.. मन करता था अपने सारे शक, संशय, मजबूरियां सब शेयर कर लूं... लेकिन वो भी नही किया , मैं शब्दो के फेर में उसे फंसाना नही चाहती थी, उस दिन जब उसने कहा कि आखिरी और पहली बार मिलने को बोल रहा हूं, कालेज के बाहर पार्क में मिलो तो मैं खुद को रोक न सकी.. आखिर दोस्त तो है ही, और प्रेम तो मेरे मन में भी था, मैं जाहिर ही नही कर रही थी...! 

मैं बोझिल कदमों से पार्क पहुंच गयी, वो पहले से उदास बैठा था, मैने हंसाने की कोशिश की, लेकिन झगड़ा होने लगा,

" बेवकूफ समझती हो मुझे"

साल भर से तुम्हारे ऊपर समय और भावनाएं दोनो बरबाद कर दिए और अब तुम मुझे टरका रही हो, उसके तेवर बिल्कुल ही बदल गये थे, मैं सकपका गयी थी, तुम पढने आते हो कॉलेज, मैं भी, क्लासमेट हैं, साथ उठते,बैठते ,पढते हैं, इसमें तुमने कौन सा समय बरबाद किया, मेरे ऊपर.. "

और हमने साथ हमेशा एंजोय किया है, एक दूसरे का.. "

हां, लेकिन इसलिए थोडे ही कि तुम हाथ से निकल जाओगी "

क्या बकवास कर रहे हो..? 

दोस्त है हम, हाथ से निकलना ,फंसना क्या है ये सब..?

दोस्त..? 

दोस्त, ....माई फुट, क्या होता है दोस्त, मुझे तुमसे शादी करनी है, तो करनी है.. "

जरूरी है कि शादी की जाए.. "

"मैं तुमसे प्यार नही करती.. "

"पहले तो कभी नही बोली ये.. "

तो पहले" हां " ही कब बोली.. "

क्यों नही बोली..? तुम्हारे हाव भाव, आंखे सब बोलते थे..! 

"तो.. शादी कर लें.. ये जरूरी है.. "

मुझे नही करनी तुमसे शादी वादी, जहाँ मेरे घर वाले कहेंगें, मैं वही शादी करूंगी और वो भी पढाई पूरी करने के बाद.. "

और तुम मुझसे इतने बुरी तरह झगड रहे हो, तुम्हारी पढाई पूरी हो गयी, नौकरी... काम, कुछ भी नही.. फिर भी.. "

"तुम्हें क्या लेना इस सबसे."

क्यों नही लेना ..? दोस्त हो.. "

दोस्त.. दोस्त, नही होना मुझे दोस्त, सीधे सीधे अभी मेरे साथ चले चलो और वो मुझे अपनी गाडी की ओर खींचने लगा, मैने मना किया और हाथ छुडाकर भागने की कोशिश की तो, उसने एक छोटी सी बोतल निकाली अपनी जेब से ओर मेरी ओर उछाल दी, उसमें से निकला वो तेजाब मेरे एक कान, कंधे और पीठ पर फैल गया और भागने की वजह से कुछ जमीन पर गिरा.. "


अब , जबकि पूरे पांच साल हो गये, जख्म ठीक हो गये हैं, हल्के निशान है, केवल... !

लेकिन आत्मा पर पडी चोट नही जाती.. 

क्यूं किया उसने ऐसा, इतने भयानक विचार का लडका मुझे अच्छा कैसे लगा था..? 

शायद उम्र का तकाजा और उसका बेहद दोस्ताना और प्रेम भरा व्यवहार..! जिससे मैं धोखा खा गयी थी... "

प्रेम..! 

क्या ये प्रेम था...? कभी रहा भी होगा उसे प्रेम, जो वो एक" ना "बरदाश्त नही कर पाया..। 

 ये सवाल जेहेन में अक्सर कौंधते रहते हैं. ..!

कौन सी प्रेमकहानी तेजाब से लिखी जाती है.. ?

नही, वो प्रेम नही था.. .हो ही नही सकता तो फिर क्या था वो. .?

समझ नही पाती अभी भी..।।


©®sonnu Lamba 


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Sonnu Lamba

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Namrata Pandey · 3 years ago last edited 3 years ago

    एक सटीक रचना जो कई सच्ची घटनाओं की याद दिला गई

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    सच.... वो सिर्फ दिखावा और छलावा था। क्योंकि प्रेम सिर्फ देना सिखाता है छीनना या किसी को दुःख देना नहीं।

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद दोस्तों आप सभी का, प्रोत्साहित करने के लिए..

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bahut hi khoobsurti se likha hai aapne...

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    थैंक्यू जी

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