फूड हैबिटस...
जब भी कोई हैल्थ की बातें करता हैं ,तो सबसे पहले बाते खाने पीने की ही होती है ...।
मैं देखती हूं ..जैसे ही ये कहा जाता है कि ये चीजे बंद कर दीजीए या ये शुरू कीजीए तो एकदम दिमाग के किसी कोने में खलबली मच जाती है और फटाफट मुंह से निकलता है ,ये तो हम कर ही नही सकते ...
बिना ये जाने ,ये समझे कि क्यों नही ..?
चलिए एक उदाहरण से समझते हैं ..जैसे ही गाइडलाइन आयी चीनी नही खाना ..एकदम प्रतिक्रिया आती हैं ,मीठे के बिना नही रह सकते हैं , अरे तो जरा सोचिए ..कि चीनी बंद करने को बोला गया है ,मीठा नही ..चीनी मीठा कब से हो गयी ..प्रकृति में जो इतना मीठा बिखरा पडा है ,उसका क्या ...?
इतने सारे मीठे फल ..ड्राई फ्रूटस में मुनक्का किशमिश ,छुआरा ,खजूर ,...मिश्री ,खांड ...और गुड ..।
गुड उसी गन्ने के रस से बनता है ,जिस पर तरह तरह के कैमिकल डालकर ये बेगुणी चीनी बनती हैं ,
जो आजकल घुन्न की तरह लाइफ स्टाइल में लग गयी हैं ..।
पहले लोग चीनी नही खाते थे गांव में ,मुझे आज भी याद है ,मेरे पापा पूरे साल के मीठे के लिए सर्दियों में गुड बनवाते थे ..गर्मियों में भी खाने को ..गर्मियों में शरबत में खांड और दूध चाय में गुड ही इस्तेमाल होता था ..।
और सर्दियों में तो केवल गुड ..लेकिन फिर देखते देखते चीनी फैशन के तौर पर घरो में घुस गयी ..क्योंकी उसका रखरखाव सिम्पल है ..।लेकिन इसकी आदत हैल्थ को कितना नुकसान पहुंचा रही है ..कोई नही सोच पा रहा ..।
दूसरी बात ..जो चीज आपको खाने में पसंद नही लेकिन गुणकारी बहुत है ..तो उसके बारे में बैठकर सोचना चाहिए कि इतनी बडी अरूचि हमारे मन में कहां और कब घर कर गयी ,उस चीज के बारे में ..।
क्या उससे हमको कभी नुकसान हुआ या केवल स्वाद की वजह से ..अगर कारण केवल स्वाद हैं तो दोबारा स्वीकार भाव से आगे बढिए ..मन में बना बैरियर तोड दीजीए ..।
क्यों ..?
आखिर क्यों नही खा सकती मैं पपीता ,आंवला या करेला ..।
पहले थोडा खाइये ..उसके गुणो के बारे में विचार किजीए ,
उसका फार्म बदल लिजीए (कच्चा ,पका ,जूस ,चटनी ,आचार )
और थोडा खाने के बाद ..दो बार गहरी सांस लेके बोलिए ..नोट बैड ..अच्छा तो हैं ..ऐसे बिना बात इतने सालो से छोड रखा था ..फिर देखिए ..अच्छा लगेगा और जब उससे फायदा होगा तो और अच्छा लगेगा ...।
आखिर जीभ में स्वाद कलिकाएं हैं ही कितना ,जिनके आगे हम हार जाते हैं ..हैल्थ की कीमत पर स्वाद के आगे घुटने टेक देना समझदारी नही है ..।
और बात बात में इस तरह कहना ..मैं तो फलां चीज के बिना रह ही नही सकता ..नासमझी है ..आप्शन तलाशिए ..सब रहा जाता है ..आदतें ही तो हैं ..तोडने की ठानेंगें तो जरूर टूट जायेंगी ..।
और अंत में मेरी सभी से गुजारिश है कि हम तो बडे हो गये ,हमारी आदते पक गयी हैं लेकिन बच्चे ..बच्चो की फूड हैबिटस अभी डवलप हो रही हैं ..हम उनकी हैल्थ को ध्यान में रखकर उनकी फूड हैबिटस डवलप करायें ,उन्हे ये सब सीखने ही ना दें कि ये नही खा सकते ..वो नही खा सकते ....बाकी तो सब समझदार हैं ..बस मेरे मन में ये कुछ विचार आये तो मैने रखे ..।
क्योंकी हमें हमेशा याद रखना चाहिए ..""पहला सुख निरोगी काया ""
©® sonnu lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत उपयोगी लेख
@namrata, Thanks dear
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