परिवार और अंहकार

रिश्तो में, इगो का होना, संवाद की, सहयोग की सभी खिडकियां बंद कर देता है और फिर....... पढिए........!!

Originally published in hi
Reactions 1
469
Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 14 Dec, 2020 | 1 min read
Life Joint family Relationships Ego Family Team

मैं कहां सम्पूर्ण हूं.. 

मैं भी अधूरापन जीती हूं.. 

सभी अधूरे अधूरे हैं.. 

मैने एक एक का हाथ थामा ..

मैं सोच रही थी, 

अधूरे अधूरे सब, 

साथ आयेंगे.. तो परिवार बनेंगें.. 

पूर्ण कहलायेंगें... 

परिवार तो पूर्ण होते हैं, ना.. 

गुलदस्ते की तरह... ।


लेकिन कोई साथ नही आया, 

सब अपने अधूरेपन को ढापते रहें.. 

अंहकार की चादर से.. 

और बोलते रहे.. 

जा.. मुझे तेरी जरूरत नही.. 

और जब वही प्रतिध्वनि सामने से आयी.. 

तो आंखो की कोर से आंसू पोछते रहे.. 

और बोलते रहे... हवा में किरकिरी बहुत है.. ।


बस ऐसे ही जाने कितने बडे परिवार.. 

फोटो फ्रेम में ही मिट गये... 

अक्सर पुराने राशन कार्डो में एक साथ ..

लिखे मिल जाते हैं, उनके नाम... 

जो कभी साथ नही बैठ पाते....।।

©®Sonnu Lamba



1 likes

Published By

Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.