बीज़

ये एक बाल कविता है, पर्यावरण दिवस पर बच्चों को जागरूक करने का एक छोटा सा प्रयास..!!

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 05 Jun, 2021 | 1 min read
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जब मुट्ठी में एक बीज़ था मेरी ,

तब ख्वाबों में था एक पेड़, 

मैनें धरती से थोडी जगह मांगी, 

और उस बीज को दिया रोप,

झुंझलाया,उकताया,पहले वो, 

फिर जान गया अपनी ताकत, 

मिट्टी का आंचल सरका कर, 

धीरे से यूं हुआ प्रकट 🌱 

मेरी आँखों में आ गयी चमक ।


अब वो इठलाता था, इतराता था, 

धूप,आंधी, बारिश, सब सह जाता था, 

इस तरह वो हुआ बड़ा और बड़ा, 

चुपचाप खड़ा एक ही जगह, 

कितना काम वो आता है, 

पंछियों को देता आसरा, 

धूप से सबको बचाता है, 

बच्चों को देता फल, फूल, 

लकड़ी भी देता जाता है, 

और जो न हमको देती दिखाई, 

वो प्राण वायु भी तो वही बनाता है, 

देखो..! 

असंख्य बीज फिर उस पेड पर आये हैं

समझ गये ना अब क्या तुमको करना है

मुट्ठी में बीज अब बच्चों ने अपनी उठाएं हैं,

उनकी नन्ही आंखों में पेड़ ही पेड़ उग आये हैं ।।

©®sonnu Lamba

(ये एक बाल कविता है, पर्यावरण दिवस पर बच्चों को जागरूक करने का एक छोटा सा प्रयास..)

अपना फीडबैक जरूर दें, बहुत बहुत धन्यवाद..!!



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Sonnu Lamba

sonnulamba

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Deepali sanotia · 3 years ago last edited 3 years ago

    Well penned

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Amazing penned as usual 👏

  • Vandana Bhatnagar · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह, बहुत खूब

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thank you so much dear friends.

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