सत्य

जीवन का अंतिम सत्य, मै और तुम,

Originally published in hi
Reactions 1
459
Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 01 Feb, 2021 | 1 min read
1000poem

मुट्ठी भर राख हो जाना

ही तो है...

देह का अंतिम सत्य..।

केवल मिट्टी ही दिखायी देगी अंत में

आकाश, वायु ,अग्नि, जल ...

सब ओझल हो जायेंगें..

प्राणो के साथ ही.. ।

और प्राण...

जो ओझल होकर भी..

शाश्वत हैं...

चोला बदल बदल कर..

यात्रा कर रहे हैं ..जन्मो सें..।

इस आत्मसाक्षात्कार की बेला में...

सोच रही हूं ...मैं

क्या तुम भी साथ साथ हो...

हो तो...

किस किस रूप में हो,

कब तक शेष हैं तुम्हारे ऋण..।

क्या मै उऋण होना चाहती हूं.

नही...शायद नही,

साथ होना ..सुहाता है,

अब मुझे...

और जानती हूं मैं

ये मोह ही...

मोक्ष के मार्ग की बाधा है..।।

©®Sonnu Lamba🌼


1 likes

Published By

Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.