इंसान ही इंसान के काम आता है..

घरेलू हिंसा किसी भी दृष्टि से जायज नही है..

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 12 Jun, 2020 | 1 min read
Fiction



ोशनी क्या हुआ.. घर में इतना अंधेरा क्यों है ..?

बिजली का बिल जमा न हुआ तीन महीने से, लाइट कट गयी दीदी... तो एक दिया ही जला लेती ,

बदन बुखार में तप रहा दीदी, उठा ही नही जाता.. "

चल मुझे बता, कहां है दिया - बाती मैं जलाती हूं.. "

वो वहीं भगवान की मूर्ति के पास होगा.. "

हां, ये रहा... हां.. अब कुछ दिखायी दिया, ,खाया तूने कुछ.. "

दिखा कितना बुखार है.. "ये क्या कलाई में चूडियाँ नही और ये चोट.. "

चूडी चुभ गयी दीदी.. "

क्या छिपा रही है ,फिर मारा तेरे आदमी ने.. "

चल मेरे साथ आज पुलिस थाने.. एफ आई आर लिखा इसकी.."

आप इतनी चिंता करती हो दीदी , पडोसी होकर भी ,और तो किसी ने ना पूछा आज तक.. मायके वालो ने विदा करके पीछा छुडा लिया.. ससुराल वालो को कोई मतलब ही नही, कभी आते हैं तो रूपये पैसे मांगने ही आते हैं ..."


रोशनी , इंसान ही इंसान के काम आता है.. एक दिये से हजारो दिये जलते हैं.. तू चल मेरे साथ.."


लेकिन उससे क्या होगा दीदी, किस्मत के लेख थोडे ही बदल जायेंगें.. ""


अरे पगली ,कोई तो डर होगा ना इसके मन में, शायद कोई अंकुश लग जाये.. ""

इस तरह कब तक मार खायेगी.. "


कोई पुलिस किसी का भाग्य ना बदल सके दीदी, और फिर अकेली औरत के दस रख़वाले हो जाते हैं.. ""


अच्छा तो तू इस रोज रोज की जिल्लत से छुटकारा नही चाहती.. "


चाहती तो हूं दीदी... पर पुलिस में नही जाना चाहती.. "


तो फिर एक काम कर.. तू कल तैयार हो जा, मैं एक एन जी ओ का पता जाती हूं, वहां केवल औरत ही रहती हैं जिनका समाज में कोई ठिकाना नही, वहीं कईं तरह के काम किये जाते हैं, जैसे आचार, पापड, चिप्स बनाना, सिलाई, कढाई, वगैरा, जिसकी जिस में रूचि, वो काम सीखे और फिर करें.. रहने, खाने के साथ कुछ कमाई भी तय हो जाती है, बैंक खाता भी वही खुला देंगें, उसी में जमा कर लो और किसी तरह का कोई डर भी नही.. ""



ठीक है दीदी.. मैं कल अपने कपडे लेकर चलूंगी आपके साथ, लेकिन अगर मेरा आदमी मुझे ढूंढता ढूंढता वहां पहुंच गया तो, "


तो फिर तुझे पुलिस से मदद लेनी होगी, और तलाक की अर्जी भी... दे देना.. "


जी दीदी .."


तेरी लिए चाय बनाकर लाती हूं, फिर घर से थोडी खिचडी भिजवा दूंगी .."


आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी मैं.. "


फिर वही पागलपन, तेरी जिंदगी में थोडा सा सूकून आ जायेगा, तो मुझे खुशी ही होगी, एहसान कैसा..? 

अभी तो बताया था कि इंसान ही इंसान के काम आता है. .! 

ले चाय पी... मैं चलती हूं और ये दवा ले लेना, और कल तैयार रहना..।

"जी दीदी.. ""।

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