"अच्छे की आस करो और बुरे के लिए तैयार रहो "
ये सूक्ति कभी इतना नहीं चुभी.. जितना कि अब, कितनी तैयारी..?
इस महामारी ने तो चारो ओर हाहाकार मचाया है, हर घर में मायूसी पसरी है, टीवी, सोशल मीडिया, अखबार, सब ऐसी ही खबर से भरे पडे हैं, फोन की घंटिया भी डराती हैं, कोई ना कोई बुरी खबर मिल ही जाती है, पता वो आंटी नहीं रही, वे दूर के फूफा जी भी..!
इतना दुख लगता है कि कोई दूर का नहीं लगता क्योंकि ये संक्रमण हैं ,दूर से पास आते वक्त ही कितना लगता है, और जो हमारे लिए दूर का होता है वो किसी और के लिए कितना करीब का होता है,
बहुत दिन से रीमा का फोन नहीं आया, पूछूं तो..? सब ठीक हो...हे ईश्वर,
एक घंटी पर ही फोन उठ गया,
क्या हुआ, इतना लो क्यों बोल रही हो,
मैने हिम्मत करते हुए पूछा..!
"कुछ नहीं यार.. सब ठीक है "
"फिर... !
"इनकी नौकरी चली गयी है, कोई नया एपोंइटमेंट भी नहीं है "
उसकी आवाज की मायूसी मेरे कानो में घुल गयी.. वैसी ही फीलिंग थी, जैसी किसी के जानें से होती है,
"रोजगार नहीं रहा"।।
©®sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सच बहुत मुश्किल समय है।
कली चिठी रेत सा समय है ये ।
आप सभी मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद, अपना ख्याल रखिए..!!
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