मां बनने के बाद .....या किसी भी वजह से अगर आपका कार्यक्षेत्र छूट जाये और वो भी लम्बे वक्त के लिए तो ...।
कमबैक आसान नही होता , किसी भी क्षेत्र में और किसी भी उम्र में ये समान रूप से मुश्किल है , यहां केवल अपना कम्फर्ट जोन ही नही भेदना होता है ..सभी परिवारजनो का कम्फर्ट जोन खत्म हो जाता है ..अमूमन परिवारजनो को आपकी दी हुयी सुविधाओं की आदत हो चुकी होती है...आप हर रोज सुबह से लेकर शाम तक उनकी दिनचर्या को आसान बनाती हैं ..ऐसे में जब आप वापिस ,अपना पूरा होंसला बटोर कर घर से बाहर निकलने की सोचती हैं तो वही सब जो आपको प्रिय होता है ..राह की बाधाओं सा लगता है और आप अपने ही विचारो के द्वन्द में फंसकर रह जाती हैं ...जाना चाहिए या नही ,सब कुछ बिखर तो नही जायेगा ...गृहस्थी में ..।
ऐसे में परिवार के किसी सदस्य को आगे आना होता है ,ये जताने के लिए कि"" मैं हूं ना "" सब संभल जायेगा ,तुम हिम्मत करके निकलो तो सही ...तुम अब अपने सपनो की कमान संभालो ...और घर का वो सदस्य अगर आपका पति है तो क्या कहने ..समझिए आपने आधी जंग तो जीत ही ली ..और सभी सपोर्ट करें तो फिर तो बात ही क्या ..सोने पे सुहागा ...।
बस इतनी जरा सी बात है ये कि परिवारजन समझ जाये कि अपने सपनो को साइड रखकर इसने पत्नी ,बहु और मां के किरदार को सर्वोपरी रखा तो अब हम इसको थोडी मोहलत दें ताकि वो अपने लिए भी कुछ कर सके ...।
और सफल वही चीजे होती हैं जिसमें परिवार साथ खडा होता है ..नही तो आप सफल हो जाने की अपनी खुशी बांटेगी किस से और कौन होगा जो आपकी कमी को महसूस करेगा ,जब आप आसपास नही होंगी ..।
इसलिए अगर आपका परिवार आपके साथ खडा है तो आप खुशनसीब हैं ,और जिंदगी आपको एक मौका देती है तो हाथ बढाकर उसे पकड लीजीए ...क्योंकि अपने सपने को ना मरने देना भी खुद की ही जिम्मेदारी है ...।।
©® sonnu lamba 🌼
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बेहतरीन लेखन
थैंक्यू सखि
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