मैं अपने रास्ते चला जा रहा था | बहुत धूप थी ,प्यास से गला सूख रहा था | बैग में हाथ डालकर देखा तो पाया कि पानी की बोतल ख़ाली हो चुकी है | थोड़ी दूर चलने के बाद एक घर नज़र आया....! गांव पूरी तरह विकसित नहीं था ,थोड़ी थोड़ी दूर पर ही घर मिल रहे थे | काफी चल चुका था ,बुरी तरह थक भी गया था अब मेरे पास और ऑप्शन भी नहीं थे| मैंने दरवाज़ा ठकठकाया ,धीरे से दरवाजा खुला और मैंने पाया कि...
एक बूढी अम्मा खुश होकर बोली...
आ गया बेटा ...""
यकीन था ...तू एक दिन आयेगा"
चल भीतर....""
हां माई... भीतर तो चलता हूं..लेकिन मैं आपको पहचानता नही ..""
अरे मेरी शक्ल पर मत जा.... लल्ला..""
आप तो बिल्कुल मेरी मां की तरह बोलती हैं.."'
हां...लल्ला ...तेरी मां के दिल के कारण ही मैं अभी तक जिंदा हूं....बस ये दिल चैन नही पाता था ..तुझसे मिलना चाहता था...लेकिन ढूंढती तो कैसे..?
इसलिए ईश्वर से रोज प्रार्थना करती..।।
माई...मैं कुछ समझा नही..""
याद है दस साल पहले अपनी मां के मृत्यु पर अंगदान किये थे तूने...''
हां माई.."'
उसी अस्पताल में तभी मैं भर्ती हुई थी ...और तेरी मां का दिल मुझे लगाया डाक्टर ने..""होश में आते ही.. .मैनै नर्स से कहा जिसने हार्ट दिया उनकी फोटो दिखा दो.....तब उसने तेरी फोटो दिखा कर बोला...ये उनका बेटा है.।"'
तब से ही मिलना चाहती थी ..""
मां.."'
तू ऐसे मिल जायेगी ..यकीन नही होता..।।
©®सोनूलांबा☺
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very nice story
🙌🙌
थैंक्यू @प्रगति
थैंक्यू @मनु
So touching
Thanks @Babita ji
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