Sonnu Lamba
21 Nov, 2020
सूरज
दुख की उन अंधेरी काली रातो में
जब पलक झपकना तक भूल गयी थी..
जितनी बैचेनी थी , उतना ही भय कि
ये स्याह रात हो ना जाये लम्बी,
फैल ना जायें इसकी कालिख दिन पर कहीं,
लेकिन फिर भी.. सूरज निकला,
हां , उसी वक्त, अपने समय पर...!!
✍️sonnu Lamba
Paperwiff
by sonnulamba
21 Nov, 2020
(आज सुबह सप्तमी का सूर्योदय )
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