
Sonnu Lamba
30 Aug, 2020
जज्बात
बिखरे बिखरे से जज्बात ,
शब्दो मे सिमट जाते है..
जैसे सहमी सी दूल्हन घूंघट की ओट में ..!
कोई कविता कहे..कोई कहे शायरी..
मै कहती हूं...
जिन्दगी कागज पर सांस लेती है...!
कलम मेरी जब पास होती है...
तब जीने की आश होती है...
और मुझे अपने वजूद की तलाश होती है !!
©सोनू लांबा
Paperwiff
by sonnulamba
30 Aug, 2020
लेखन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Please Login or Create a free account to comment.