Sonnu Lamba
30 Jun, 2022
चोट
वो बारबार उस ठंडी हथेली को अपने हाथ में लेकर गरमाहट महसूस करने की कोशिश कर रही थी, कोशिश कर रही थी इस निष्प्राण हाथ में अपने हाथों की, अपने स्पर्श की ऊष्मा डाल दूँ ।
शायद इनकी वो गरमाहट लौट आये, लेकिन उसकी सारी कोशिशें असफल हो गयी, हाथो में हाथ आज भी वहीं था लेकिन बेजान, उसके मन और मस्तिष्क पर एक साथ चोट हुई, समझ गयी थी वो साथ छूट चुका है, हाथों में होते हुए भी हाथ छूट चुका है।
✍️सोनूलांबा
Paperwiff
by sonnulamba
30 Jun, 2022
कहानी
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