कल का दिन काफी खास रहा। आप सोच रहे होंगे क्यूँ भला! चलिए विस्तार से बताती हूँ।
पतिदेव सरकारी अफसर हैं इसलिए हम सरकारी आवास में रहते हैं। घर में दो दरवाजे हैं सामने के दरवाजे को तो हम हमेशा ही साफ सुफरा और चमकदार रखते हैं किन्तु पिछले दरवाजे की हालत खस्ता ही रहती है। पिछले दरवाजे और सबस्टेशन की बाउंड्री के बीच अच्छी खासी जगह है जिसमें हमेशा ही जंगली घास फूस और भांग के पौधे कब्जा किए रहते हैं। कल पतिदेव ने सुबह तड़के उठकर एक नेक विचार बताया कि वे चाहते हैं कि इस जंगली पौधों को साफ करके हम क्यूँ न एक सुंदर सा किचेन गार्डन बना लें। विचार तो बहुत अच्छा था लेकिन इस समय कोई मजदूर कहाँ मिलने वाला है जो ये सब करे? मैंने प्रश्न किया।
पतिदेव ने मुस्कुरा कर कहा, आजकल मैं खाली ही हूँ क्यूँ न रोज की सब्जी का इंतजाम कर लिया जाए।
दो तीन घंटे में पूरी जमीन साफ होकर सुंदर क्यारियों में बदल गई थी। फिर हमने उसमें टमाटर, पालक, मिर्ची, घीया, बैंगन और धनिया के पौधे( कुछ के बीज) लगा दिए। गन्दगी और झाड़ियों के कारण जो दरवाजा हम कभी खोलते तक नहीं थे वहां आज हरियाली दिख रही थी।
एक किनारे पर पंक्ति बद्ध करके गुलाब, गेंदा भी लगाया गया है।
तो दोस्तों आपके घर में भी हो सकता है ऐसा कोई कोना या फिर छत पर भी आप ऐसा ही कुछ खास कर सकते हैं। यकीन मानिए बहुत खुशी मिलती है। अपने बोए बीजों को पौधा बनते देखने और उनके फलों की प्रतीक्षा करने का अलग ही आनंद हैं।
आप भी अपने लॉकडाउन को हमेशा के लिए यादगार बना सकते हैं ऐसा ही कुछ सकारात्मक कर के। इस नकारात्मकता भरे माहौल में खुद को सकारात्मक रखने के लिए मेरे लेखों के माध्यम से मुझसे जुड़े रहिए।
आज के लिए इतना ही। कल फिर बताऊँगी एक और नया तरीका।
आपकी दोस्त
सोनिया निशांत
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