बिटिया अभी छोटी है
माँ की उंगली पकड़ कर चलती है
दुनिया की हर चीज से प्यारी उसको
सिर्फ माँ ही तो लगती है।
अब स्कूल जाने लगी है
बहुत नखरे दिखाने लगी है
मम्मा मुझको प्यार नहीं करती
जाने क्यूँ पसंद का मेरे
कुछ काम नहीं करती।
सबकी मम्मी लाड करती हैं
मुझे क्यूँ मम्मा डिसिप्लिन सिखाने लगी,
बिटिया स्कूल जाने लगी।
बिटिया थोड़ी और बड़ी हो जाती है
पढ़ाई करने हॉस्टल चली जाती है।
फिर तो मानो पंख लग जाते हैं।
नए दोस्त नयी जगह,
ना रोक टोक ऊपर से उम्र का नाजुक पड़ाव।
अब तो माँ से थोड़ी देर बात करने के लिए भी बामुश्किल समय मिल पाता है।
मां से क्या बात करूँ
माँ तो यहीं है
कहीं जाने वाली नहीं है।
पढ़ाई खत्म हुई फिर
नौकरी के लिए जद्दोजहद शुरु,
अब मन उखड़ा सा रहता है।
घर आकर भी दफ्तर का तनाव
मन पर हावी सा रहता है,
कभी लगता ही नहीं
माँ के साथ बैठ कर
कुछ समय बिताऊँ,
माँ तो यही है
कही जाने वाली थोड़ी ना है
क्यूँ ना लैपटॉप पर बैठ
दफ्तर का काम निपटाऊँ।
समय बीत रहा है माँ को
ब्याह की अब चिंता होती है,
पापा से अकेले में वो मेरे बारे में
बात कर कर के रोती है।
मेरी नन्ही सी गुड़िया कब बड़ी हो गई
कैसे उसके ब्याह की घड़ी हो गई।
अभी तो जी भर के
ममता भी ना लुटाई थी
ऐसा लग रहा जैसे
कल ही की तो बात है
जब ये नन्ही कली
मेरे घर आई थी।
सुयोग्य वर मिला और
मेरा ब्याह हो गया।
माँ से मिलना मानो
एक स्वप्न सा हो गया।
अभी तो नयी नयी गृहस्थी है
मैं कैसे तुमसे मिलने आ पाऊँगी,
माँ, सासू माँ को मैं कैसे मनाउंगी।
फिर कुछ दिन बाद एक फूल
मेरे घर में भी खिला,
अब तो जीवन मेरा
उसके आसपास घूमने लगा।
बेटी कब आएगी साल भर हो चला
माँ का मन व्याकुल है
।तू मिल जाती तो
कुछ हो जाता हल्का।
माँ आऊँगी तुम परेशान ना होना,
मुन्ना मेरा छोटा है
कैसे आऊँ भला।
कभी पैसों की कमी तो कभी
व्यस्तता मुझे रोक लेती है
हाए कैसे बताऊँ माँ
कभी कभी सासू भी
मायके जाने पर
मुह मोड़ लेती है।
बच्चे भी तो छोटे हैं
अपने पापा को याद करते हैं
आपके दामाद भी कहाँ
मेरे बिना घर मैनेज करते हैं।
इस महीने नहीं उस महीने,
इस बार नहीं अगली बार
सोचते सोचते समय बीत जाता है
मन में कसक तो उठती है
लेकिन जिम्मेदारियाँ रोक लेती हैं।
इस बार काम निबटा लेती हूँ
माँ से फिर मिल लूँगी,
माँ तो वहीं है
कहीँ जाने वाली नहीं है।
दिल चाहता है मैं तेरे साथ
कुछ समय बिताऊँ,
मैं भी तो एक माँ हूँ
तेरी अहमियत मुझे समझ आने लगी है
माँ, बिटिया को तेरी
अब बहुत याद आने लगी है।
तेरे आँचल से निकल कर जाना माँ,
तू कितना प्यार करती थी
अपने हिस्से का निवाला भी
मेरे नाम कर देती थी।
सारे रिश्ते स्वार्थी हैं माँ
एक तुझसे रिश्ता सच्चा है
तुझसे मिलने को आज भी
मन मेरा बन जाता बच्चा है।
समय बीतता जाता है
जिम्मेदारयां बढ़ती जाती हैं
माँ की उम्र भी तो
अब बढ़ती ही जा रही है।
हर साल मानो
दो तीन बरस
तेरी उम्र बढ़ जाती है
बुढ़ापा बहुत तेज़ बढ़ता है
और जवानी खो जाती है।
फिर एक दिन तू चली गई
सब छोड़ कर मां
बिटिया को तन्हा कर गई,
हाय दो पल तो रुक जाती माँ
कुछ मेरे मन की भी सुन जाती माँ
मैं अब आऊँगी
जब भी तू बुलायेगी
बस एक बार और कह दे माँ
बेटी तू कब घर आयेगी।
अब बस यादें रह जाती हैं,
मन में पछतावा होता है
क्यूँ नहीं दो पल की फुर्सत निकाल
तेरे साथ मैंने वक़्त बिताया,
तेरी गोद से बड़ा भी कहाँ
दुनिया में कोई सुख होता है।
तेरे कपड़े, तेरी साड़ी तेरी तस्वीरों में
तुझे महसूस करती हूं
माँ, मेरी प्यारी माँ
मैं तुझे बहुत याद करती हूँ।
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