ख्वाब हकीकत में ढलने लगे
जबसे वो हमसे मिलने लगे
उनके लफ़्ज़ों में जो गर्माहट है
सुकून पहुंचाता दिल को मेरे
जो छू ले तो मन भीग जाए
उसके नर्म एहसासों से
सूरज की उजली किरण सा वो
मोह लिया उसकी मीठी बातों ने
जब पास रहे, इक सुकून सा मिले
संग न हो तो बेचैनी बढ़े
उसकी हंसी, जैसे दिल की
सूखी धरा पर गिरकर
मुस्कान की कलियां खिलाएं
कुछ यूं उनका आना हुआ
बदली सी लगे हैं फिजाएं
साथ ये अब, पल भर का नही
उम्र भर का बंधन कहलाए।
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