असहमत हूं....

असहमत हूं, समाज की रूढ़ीवादी परम्पराओं से।

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 19 Jun, 2020 | 1 min read
Hindi poetry womenempowerment

असहमत हूं हर उस बंधन से जो,

मुझे खुली हवा में उड़ने से रोके।


 असहमत हूं हर उस नियम से जो, 

मुझे मेरे मन की करने से रोके।


  असहमत हूं हर उस रिवाज़ से,

जिसकी जकड़न से मेरा दम घुटे।


असहमत हूं हर उस विचार से जो

 मुझे अपनी राह पर आगे बढ़ने से रोके।


असहमत हैं रूढ़ीवादी समाज से जो,

संस्कारों के नाम पर मुझे हर बार टोके।


जीवन मेरा .... नियम भी मेरे

स्वयं अपनी सीमाएं तय करूंगी

अपने जीवन की सारथी मैं

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Sonia Madaan

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