सफर जिंदगी का।

सूनी पड़ी है राह जिस पर अक्सर हम साथ चला करते थे

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 23 Sep, 2020 | 0 mins read
Life Hindipoetry Paperwiff Loneliness Life journey

सूनी पड़ी है राह जिस पर अक्सर हम साथ चला करते थे

कुछ नहीं है अब वहां, सिर्फ सूखे पत्ते बिखरे मिला करते हैं

मौसम के मिजाज़ भी बदले बदले से लगते हैं

सर्द हवा के झोंके भी अब गुजरते हुए चुभ जाया करते हैं

लफ्ज़ सुनकर तुम्हारे, जो कभी फूल खिलकर मुस्कुराते थे,

बहार भी अब उस राह से नदारद सी लगती है,

क्यों जिंदगी में आकर कुछ लोग फिर चले जाते हैं,

एक ही राह पर चलने का वादा कर, कहीं और मुड़ जाते हैं?

जाने वाले बेशक चलें जाएं, सफर के पैमाने थोड़े न बदल जाते हैं?

भावनाओं का समंदर दिल में समेटे, हम आगे बढ़ते जाते हैं,

ये सफर जिंदगी का हमारा है, केवल हमसे जुड़ा है,

अकेले ही तय करना है, यही दिल को समझाते हैं।

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