धुंधले पड़ गए हैं रास्ते जहां कभी एक साथ चले थे
फीकी सी हो गई हैं यादें जो कभी एक साथ संजोए थे,
वो महकते ख्वाब , वो खुशनुमा पल
वो इंतजार, वो मीठी तकरार,
धुंधले से दिखाई पड़ते हैं।
बरसात की रातें कभी प्यार की
खुशबू से महक उठती थीं,
आज जमीन पर गिरती बूंदों का शोर भी
दिल में फैले सुनेपन को खत्म नहीं कर पाता।
तनहाई भरे इस सफर में
बस इन सूनी रातों का साथ है
जो उम्मीद की उस जलती लौ को
मद्धिम नहीं होने देते।
फिर चलेंगे उन रास्तों पर एक साथ
कुछ नहीं यादों और सपनों को संजोने,
फिर लौट आएगी महक
कोरी बरसातों में,
फिर.......... एक बार फिर!
Sonia Madaan ✍️
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर रचना
Thank you 😊
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