सपने मेरे...(कविता)

सपने जो देखे थे जिंदगी में... कुछ पूरे हुए, कुछ अधूरे रह गए

Originally published in hi
Reactions 1
601
Sonia Madaan
Sonia Madaan 17 Jul, 2020 | 1 min read
Hindipoetry

सपने जो देखे थे जिंदगी में...

कुछ पूरे हुए, कुछ अधूरे रह गए

कुछ भुला दिए, कुछ खुद ही ढह गए,

कुछ चांद सितारों की तरह

मेरी जिंदगी के आसमां में सज गए,

कुछ दिल की किताब में 

अफसोस! दब के रह गए,

कुछ सपनों को आंखों में बसा लिया

जो पूरे न हुए, वो बन के अश्रू बह गए,

कुछ को हकीकत में बदलने की चाह नहीं

पर बसे हैं ऐसे, कि दिल को ही घर कर लिया,

ख्वाबों के ताने-बाने में उलझना नहीं था

इस जग में मुझको किसी से बैर, लेना नहीं था,

आंख मूंद कर बस अनदेखा करती रही, 

इस तसल्ली के साथ कि

वक्त, हालात और समय भुलाने में देंगे साथ,

उन दबे, कुचले, मुरझाए सपनों को

न जाने कहां से हवा मिली?

दिल के झरोखों से झांककर देते हैं आवाज़

आतुर हैं, पंख लगा, नापने को सारा आकाश,

अब तो मेरा भी दिल संभाले न संभलता है

पूरी कर दूं ख्वाइश उनकी, मेरा भी दिल करता है, 

उन सपनों के जो सपने हैं, वो मेरे भी तो सपने हैं

क्यों न उन सपनों को पंख लगा कर

नवजीवन का करूं आगाज़?

आज वक्त भी मेरा, समय भी मेरा

फिर क्यों न बदलेंगे हालात?

सपनों को पूरा करने का 

सही समय अब आया है,

जीवंत व साकार रूप देने को

अपनी मेहनत और हुनर के रंगों से सजाया है।




Sonia Madaan ✍️

1 likes

Published By

Sonia Madaan

soniamadaan

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.