हमारा देश भारत विविधता में एकता का प्रतीक रहा है। इस देश में अलग-अलग जातियां, धर्म, वेशभूषा, त्योहार, भाषाएं हैं पर फिर भी सभी लोग एक जुट रहे हैं, एक दूसरे के त्यौहार व धर्मों का आदर हमारी संस्कृति का प्रतीक है।
धर्म अलग अलग हों पर सभी धर्मों के गुरुओं ने प्रेम और एकता की ही सीख दी है।
कोई भी धर्म हिंसा, नफरत, छुआछूत या भेदभाव का पाठ नहीं पढ़ाता।
पर यही एकता कुछ विरोधियों के आंखों में खटकती है और वो हमारे देश की अखंडता में बाधा डालते हैं।
कुछ स्वार्थी व असामाजिक तत्व अपने निजी हितों को पूरा करने के लिए समाज में भेदभाव की स्थिति उत्पन्न करते हैं, लोगों को भड़काते हैं जिससे हिंसा व नफरत फैलती है। भारत जैसी विभिन्नताओं वाले देश में यह काम और भी आसान हो जाता है।
फूट डालो और शासन करो की नीति आरंभ में अंग्रेजों ने ही अपनाई थी और इसी नीति का इस्तेमाल आज भी इस देश की एकता को तोड़ने के लिए समय-समय पर किया जाता रहा है।
यूं तो हमारे देश भारत की ताकत कम नहीं है। बाहरी विरोधियों का सामना करने में भारत पूरी तरह सक्षम है पर मुश्किल उस समय होती है जब देश के अंदर ही विरोधी खड़े हो जाएं। अपना हित साधने के लिए ये समाज में लोगों को धर्म और जाति के आधार पर बांटते हैं।
आज की आधुनिक सदी में शिक्षा व तकनीकी ज्ञान के कारण समाज के हर वर्ग में जागरूकता आई है।
किसान, व्यापारी, मजदूर, दफ्तरों में सेवा देने वाले कर्मचारी अब अपना अच्छा या बुरा समझने लगे हैं। अपने साथ होने वाले किसी भी अनैतिक कार्य व अनुचित नियमों को मानने से इनकार करते हैं, विरोध करते हैं व समाज के अन्य वर्ग को भी जागरूक करते हैं।
बस ऐसे ही समय की ताक में रहते हैं कुछ स्वार्थी संगठन, व्यक्ति या वर्ग जो धर्म या जाति के आधार पर मतभेद उत्पन्न करते हैं, हिंसा फैलाते हैं व समाज की उस एकता को खंडित करने का प्रयास करते हैं।
समाज के हर वर्ग, हर संगठन, हर व्यक्ति को इस बात को भलीभांति समझना होगा कि यदि वे संगठित रहें, सचेत रहें, सही गलत का भेद करें, किसी की अनर्गल राष्ट्र-विरोधी बातों में आने से पहले स्वयं आंकलन करें, और जिसमें वह सक्षम भी हैं, तो कोई भी आंतरिक या बाहरी ताकत उन्हें कमजोर नहीं कर सकती।
धर्म से पहले राष्ट्र हित आता है। कोई भी व्यक्ति हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई से पहले एक भारतीय है और उसे किसी धर्म विशेष से ऊपर उठकर अपने देश के हित के लिए सोचना चाहिए।
देश है तो हम हैं। भारत एक गुलदस्ता है और उसमें रहने वाले, भांति भांति के फूल!
तो आइए धर्म के नाम पर लड़ने वालों को जागरूक करें और लड़ाने वालों के खिलाफ एक जुट हों।
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