वक्त, क्यों तू ठहरा हुआ है। (कविता)

क्यों हंसी पर मायूसी का पहरा हुआ है क्यों बढ़ता नहीं.....आगे निकलता नहीं...

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 21 Aug, 2020 | 0 mins read
Hindipoetry Time

लगे क्यों जैसे वक्त थम सा गया है

मन किसी मोड़ पर आकर रुक सा गया है

ख्वाहिशें पाबन्दियों में घिरी सी लगे

लगे जैसे सपनों पर पानी फिरा है

क्यों लगे जैसे जीवन से रंग उड़ा है

सोच पर भी नकारात्मक असर हुआ है

लगे क्यों जैसे आंखों का काजल बिखरा है

कभी लगे दिल में सावन उतरा है

विरह की वेदना में लगे दिल जला है

लगे क्यों जैसे सूना दिल का आंगन हुआ है

शब्दों का जाल कुछ उधड़ा हुआ है

प्रेम का अहसास क्यों फीका पड़ा है

कोशिशों का सिलसिला भी रुक सा गया है

लगे कभी उम्मीद बुझ सी गई है

हसरतें दिल के भीतर कहीं छिप सी गई हैं

क्यों हंसी पर मायूसी का पहरा हुआ है

क्यों बढ़ता नहीं.....आगे निकलता नहीं...

ऐ वक्त! क्यों तू ठहरा हुआ है...

क्यों यहीं तू ठहरा हुआ है...??


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Sonia Madaan

soniamadaan

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    बेहद उत्कृष्ट रचना। यथार्थ सृजन

  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank you Sandeep 😊

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