इन चिरागों से कह दो अब न भाए उजाला मुझे,
मैंने अंधेरे में चलना सीख लिया।
राह में तूफान बहुत झेले अब न भय होता मुझे,
मैंने पग एहतियात से रखना सीख लिया।
समंदर की ऊंची-गहरी लहरें अब न डराए मुझे
मैंने गहराइयों से उभरना सीख लिया।
आसमान का क्षितिज अब न भरमाए मुझे,
अपने सपनों के पंख लगा उड़ान भरना सीख लिया।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
well penned
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