राह
कुछ पेचीदा
कुछ कुछ पथरीला
पर चलूंगा
मै।
भटक
गर जाऊं
तो खुद ही
रास्ता खोजूंगा
मैं।
हर
ओर तमस
पर रोशनी भी
खुद करूंगा
मैं।
लड़खड़ाने
की फिक्र
में मार्ग अपना
न बदलूंगा
मैं।
ऊंचा
उठने की
होड़ में ज़मीन
न भूलूंगा
मैं।
मंजिल
ही एकमात्र
ध्येय ये मानकर
आगे चलूंगा
मैं।
हो
तनिक भी
संदेह परख लो
नहीं डरुंगा
मैं।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
प्रेरणादायक कृति
Thank you Sandeep 😊
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